नई दिल्ली। पाकिस्तान और ईरान एक समय कट्टर दोस्त हुआ करते थे। दोनों ही मुस्लिम देश हैं और पहले इनमें भाई-भाई का रिश्ता था। यहां तक कि ईरान ने भारत-पाकिस्तान की जंग के समय 1965 और 71 में पाकिस्तान की मदद भी की थी। तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी ईरान भारत के खिलाफ और पाकिस्तान […]
नई दिल्ली। पाकिस्तान और ईरान एक समय कट्टर दोस्त हुआ करते थे। दोनों ही मुस्लिम देश हैं और पहले इनमें भाई-भाई का रिश्ता था। यहां तक कि ईरान ने भारत-पाकिस्तान की जंग के समय 1965 और 71 में पाकिस्तान की मदद भी की थी। तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी ईरान भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखता था। लेकिन आखिर ऐसा क्या हो गया कि कुछ ही वर्षों में दोनों देश एक दूसरे के जानी-दुश्मन बन गए? पाकिस्तान पर ईरान की एयर स्ट्राइक और फिर पाकिस्तान के जवाबी हमले के बाद दुनिया इन दोनों देशों के रिश्तों में आए इस उतार-चढ़ाव की वजह जानना चाहती है। आइए बताते हैं कैसे बिगड़े दोनो देशों के रिश्ते?
ईरान और पाकिस्तान की दोस्ती पाकिस्तान की आजादी के साथ जुड़ी है। भारत से पाकिस्तान जब 14 अगस्त 1947 को अलग हुआ तब पाकिस्तान को एक देश के तौर पर मान्यता देने वाला ईरान सबसे पहला देश था। ईरान और पाकिस्तान के बीच भाई-भाई जैसा रिश्ता था। बता दें कि दोनों देश भौगोलिक रूप से भी आपस में काफी गहराई से जुड़े हैं और 990 किलोमीटर का बॉर्डर साझा करते हैं। वर्ष 1947 के बाद ईरान-पाकिस्तान के बीच कई संधियां हुईं। दोनों मुल्कों में दोस्ती इतनी प्रगाढ़ हो गई कि वो भारत के खिलाफ मिलकर एक जुट रहते थे। यहां तक की पाकिस्तान ने अपना पहला दूतावास भी ईरान में खोला था।
वर्ष 1979 से शुरू हुई गलतफहमियों के बाद भी दोनों देश के बीच संबंध उतना नहीं खराब हुए थे, जितना की अब 21वीं सदी में हो चुके हैं। बता दें कि पाकिस्तान और ईरान के रिश्ते आपसी मनमुटावों के बावजूद पहले सामान्य थे। मगर 1990 के दौर में जब पाकिस्तान में शिया और सुन्नी के बीच आपसी अंतर्कलह बढ़ी तो ईरान पर शियाओं को भड़काने का आरोप लगा। इससे भी दोनों मुल्कों के बीच तनाव बढ़ने लगा।
इसके अलावा लाहौर में ईरानी राजनयिक सादिक गंजी की हत्या तथा फिर वर्ष 1990 के दौरान पाकिस्तान ईरानी वायुसेना के कैडेटों की हत्या से दोनों देशों की दुश्मनी और बढ़ गई। पाकिस्तान और ईरान की अफगान में विरोधी नीतियां भी दोनों देशों के बीच दुश्मनी का कारण बनीं। पाकिस्तान हमेशा से तालिबानियों का समर्थक रहा। वहीं ईरान वहां की पूर्व सरकार का पक्ष लेता रहा था। इससे भी ईरान पाकिस्तान से खफा था। 2014 में ईरान के पांच सैनिकों को पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-उल-अदल ने अपहरण कर लिया था। इसके बाद ईरान ने सैन्य कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी। बाद में 4 रक्षकों को पाकिस्तानी आतंकियों ने वापस कर दिया तथा 1 को मार दिया। इससे विवाद और बढ़ता चला गया।
विशेषज्ञों की मानें तो वर्ष 2021 से पाकिस्तान-ईरान के संबंध फिर से सामान्य होने लगे थे। दोनों देशों ने कई समझौते तथा संयुक्त सैन्य अभ्यास भी किए थे। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार भी बढ़ने लगा था। दोनों मुल्कों ने बिजली वितरण की लाइन भी शुरू की थी। साल 2023 में पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ईरान दौरे पर भी गए थे। इससे दोनों देशों के संबंध फिर से सुधरने लगे थे। लेकिन पाकिस्तान आतंकियों पर शिकंजा नहीं कस पा रहा था और हाल में ईरान में हुए आतंकी हमले में भी पाकिस्तान के आतंकियों का हाथ होने की आशंका थी। इसलिए ईरान ने पाकिस्तान पर सरप्राइज अटैक कर दिया, इसके बाद अब पाकिस्तान के जवाबी हमले से अचानक फिर से पाकिस्तान-ईरान के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं।