नई दिल्ली: राम मंदिर विवाद पर फैसला सुनाने वाले सभी पांचों जजों- रंजन गोगोई, शरद अरविंद बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण दिया गया है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सभी न्यायधीशों को अयोध्या में अभिषेक समारोह देखने के लिए आमंत्रित किया है. बता दें […]
नई दिल्ली: राम मंदिर विवाद पर फैसला सुनाने वाले सभी पांचों जजों- रंजन गोगोई, शरद अरविंद बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण दिया गया है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सभी न्यायधीशों को अयोध्या में अभिषेक समारोह देखने के लिए आमंत्रित किया है. बता दें कि इन पांचों जजों की बेंच ने 9 नवंबर 2019 को राम मंदिर विवाद पर फैसला सुनाया था.
देश के 46वें मुख्य न्यायाधीश रहे रंजन गोगोई फैसले के अगले ही हफ्ते यानी 17 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो गए. रंजन गोगोई 13 महीने से ज्यादा दिनों तक सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश रहें. रिटायरमेंट के चार महीने के बाद उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए मनोनीत कर दिया था. फिलहाल वे राज्यसभा सदस्य के रूप में कार्य कर रहे हैं.
रंजन गोगोई के रिटायर हो जाने के बाद 18 नवंबर 2019 को शरद अरविंद बोबडे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने. 23 अप्रैल 2021 तक यानी करीब 17 महीने तक इस पद पर रहने के बाद बोबडे रिटायर हो गए. हालांकि रिटायरमेंट के बाद उन्होंने कोई सार्वजनिक पद नहीं संभाला. जानकारी के मुताबिक फिलहाल वह मुंबई की महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर के तौर पर काम कर रहे हैं.
शरद अरविंद बोबडे के रिटायरमेंय के बाद एन वी रमना और यूयू ललित सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने. वहीं, उदय उमेश ललित के सेवानिवृत्त होने के बाद धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जिन्हें हम डीवाई चंद्रचूड़ कहते हैं, वे सुप्रीम कोर्ट के 50वें चीफ जस्टिस बनें. बता दें कि राम मंदिर विवाद पर फैसला सुनाने वाले पांच जजों में से चार जज रिटायर हो चुके हैं. बस डीवाई चंद्रचूड़ अभी सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत हैं.
राम मंदिर विवाद पर फैसला देने वाले पांच जजों की खंडपीठ में शामिल रहे पूर्व न्यायधीश अशोक भूषण 4 जुलाई 2021 को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो गए. रिटायरमेंट के चार महीने के बाद ही केंद्र सरकार ने इन्हें नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) यानी राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण का अध्यक्ष बना दिया. फिलहाल वह इसी पद पर काम कर रहे हैं.
अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने वाले जजों में एस. अब्दुल नजीर भी शामिल थे. नजीर करीब 6 साल देश की सबसे बड़ी अदालत में बिताने के बाद 4 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो गए. रिटायरमेंट के दो महीने के अंदर ही एस. अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बना दिया गया. नजीर फिलहाल आंध्र प्रदेश के 24वें राज्यपाल के तौर कार्य कर रहे हैं.