नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज IAC विक्रांत नौसेना को सौंप दिया है, ये एयरक्राफ्ट कैरियर पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बना हुआ है, इसके साथ ही नौसेना के पास अब दो एयरक्राफ्ट कैरियर हो गए हैं, एक तो IAC विक्रांत और एक INS विक्रमादित्य. IAC विक्रांत के आने से हिंद महासागर में […]
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज IAC विक्रांत नौसेना को सौंप दिया है, ये एयरक्राफ्ट कैरियर पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बना हुआ है, इसके साथ ही नौसेना के पास अब दो एयरक्राफ्ट कैरियर हो गए हैं, एक तो IAC विक्रांत और एक INS विक्रमादित्य. IAC विक्रांत के आने से हिंद महासागर में भारत की ताकत अब बढ़ गई है.
नौसेना के वाइस चीफ वाइस एडमिरल एसएन घोरमाडे ने न्यूज एजेंसी को बताया कि IAC विक्रांत के आने से हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर में शांति और स्थिरता बढ़ेगी, उन्होंने बताया कि INS विक्रांत पर एयक्राफ्ट का लैंडिंग ट्रायल नवंबर में शुरू होगा और 2023 के मध्य तक इसका ट्रायल पूरा कर लिया जाएगा. अमेरिका, यूके, रूस, चीन और फ्रांस के बाद अब भारत का नाम भी उन देशों की सूचि में जुड़ गया है, जिनमें स्वदेशी तकनीक से एयरक्राफ्ट कैरियर को बनाने की क्षमता है. INS विक्रांत की 76% चीजें भारत में निर्मित हैं.
बता दें, भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर का नाम भी ‘विक्रांत’ ही था. ये वही जहाज था जिसने 1971 की जंग के दौरान भारत की ओर बढ़ रही पाकिस्तानी पनडुब्बी ‘गाजी’ को रोका था, इस जहाज को भारत ने 1961 में ब्रिटेन की रॉयल नेवी से खरीदा था. वहीं, साल 1997 में ये रिटायर हो गया था. इसलिए अब जब भारत ने स्वदेशी तकनीक से एयरक्राफ्ट कैरियर बनाया है, तो वही नाम बरकरार रखा है. वो INS विक्रांत भी हिंद महासागर में भारत की बड़ी ताकत था और नया INS विक्रांत भी अब भारत की बड़ी ताकत बन गया है.
13वीं सदी तक हिंद महासागर पर भारत का दबदबा रहा था और कारोबार के लिए भारतीय इसी समुद्री रास्ते से जाया करते थे. लेकिन समय के साथ ही भारत का इससे दबदबा कम होता गया, मुगलों के काल में समुद्री मामलों पर खास ध्यान नहीं दिया गया. नतीजा ये हुआ कि अरबों का इस पर एक तरह से एकाधिकार ही हो गया, प्रशांत और अटलांटिक महासागर के बाद तीसरा सबसे बड़ा महासागर हिंदमहासागर ही है. ये 7.5 करोड़ किलोमीटर में फैला हुआ है, साथ ही ये महासागर एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया से जुड़ा है. आज दुनियाभर में 80% तेल हिंद महासागर के तीन संकरे समुद्री रास्तों से गुजरकर ही पहुँचता है.