नई दिल्ली: भारत के इतिहास में तीन ऐसे प्रधानमंत्री हुए हैं जिनका इतिहास पाकिस्तान से जुड़ा हुआ है. हालांकि इन्हीं में एक नाम डॉ. मनमोहन सिंह का आता है जो इकलौते ऐसे पीएम हैं जिन्हें भारत की तकदीर बदलने का मौका कई बार मिला है. उन्होंने 1991 का वो ऐतिहासिक बजट पेश किया जिसने देश […]
नई दिल्ली: भारत के इतिहास में तीन ऐसे प्रधानमंत्री हुए हैं जिनका इतिहास पाकिस्तान से जुड़ा हुआ है. हालांकि इन्हीं में एक नाम डॉ. मनमोहन सिंह का आता है जो इकलौते ऐसे पीएम हैं जिन्हें भारत की तकदीर बदलने का मौका कई बार मिला है. उन्होंने 1991 का वो ऐतिहासिक बजट पेश किया जिसने देश की अर्थव्यवस्था को बदलकर रख दिया. इसके अलावा उनका नाम देश में लंबे कार्यकाल पर टिके रहने वाले प्रधानमंत्रियों में भी शुमार है. आज उनका जन्मदिन है जिस मौके पर हम आपको पूर्व पीएम मनमोहन सिंह से जुड़े वह ऐतिहासिक फैसले बताएंगे जिसके बिना आज भारत की कल्पना भी नहीं की जा सकती.
बता दें, आज पूर्व पीएम मनमोहन सिंह 91 वर्ष के हो गए हैं. मनमोहन सिंह का जन्म आज़ादी से पहले साल 1932 में 26 सितंबर को चकवाल जिले के गाह गांव में हुआ था. उन्होंने दस सालों तक प्रधानमंत्री पद संभाला। पीएम पद पर साल 2004 से 2014 तक उनका कार्यकाल देश की अर्थव्यवस्था के लिए काफी ख़ास माना जाता है. अर्थशास्त्री डॉ सिंह को तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव के कार्यकाल में वित्त मंत्री की जिम्मेदारी भी दी गई थी. देश में कई आर्थिक सुधारों में उनका महत्वपूर्व योगदान रहा है.
90 बसंत देख चुके पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने साल 2004 में देश का प्रधानमंत्री पद संभालते हुए करोड़ों लोगों की भूख, रोजगार और शिक्षा का पूरा ख्याल रखा. उनके कार्यकाल में सरकार ने मनरेगा जैसे कानून देश को दिए जो ग्रामीण स्तर पर लोगों को रोजगार की गारंटी देते हैं. मनमोहन सरकार में खाद्य सुरक्षा विधेयक पेश किया गया जिसने करोड़ों लोगों को भुखमरी से भी बचाया.
देश के भविष्य को संवारने के लिए मनमोहन सिंह ने ‘शिक्षा के अधिकार’ को एक मौलिक अधिकार का रूप दिया. करोड़ों गरीब तबके के लोगों तक इसकी मदद से शिक्षा पहुंच पाई.
आर्थिक उदारीकरण की नीतियों ने देश में गरीब आबादी को सबसे ज़्यादा लाभ पहुंचाया. इस ऐतिहासिक फैसला की जड़ मनमोहन सिंह की नीतियों से होकर ही गुजरती है जिसे आज तक याद किया जाता है. 1991 के ऐतिहासिक बजट को पेश करने के 30 साल बाद आज देश के 30 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ चुके हैं. प्राइवेट सेक्टर का विस्तार होने से नई नौकरियों का सृजन हुआ जिसका फायदा देश के कई वर्गों को मिला. भारत कई मामलों में इंपोर्ट निर्भर था जो आज दुनिया का सबसे बड़ा सॉफ्टवेयर एक्सपोर्टर बन चुका है. आईटी सेक्टर ने भी भारत की बड़ी आबादी को अमीर बनाया है.