नई दिल्ली. भारत और कनाडा के रिश्तों में आई कड़वाहट बढ़ती ही जा रही है. ट्रूडो को सत्ता में बने रहने के लिए अतंकियों और उन्हें संरक्षण देने वालों की मदद लेनी पड़ रही है. इसको लेकर पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह बुरी तरह भड़के हुए हैं और वो किस्सा बताया है जब उन्होंने कनाडा के रक्षा मंत्री से मिलने से इंकार कर दिया था.
ट्रूडो जब भारत आये और पंजाब विजिट का प्लान बना तो उन्होंने पंजाब के तत्कालीन सीएम कैप्टन अमरिंदर से मिलने से इंकार कर दिया. इस पर उस समय की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्रूडो से साफ कह दिया था कि यदि वह पंजाब के सीएम से नहीं मिलेंगे तो पंजाब का दौरा भी नहीं कर पाएंगे.
मजबूरी में ट्रूडो कैप्टन अमरिंदर से मिले, कैप्टन ने उन्हें एक लिस्ट दी जिसमें आतंकियों के नाम थे, उसमें कनाडा का वह मंत्री भी शामिल था जो जस्टिन ट्रूडो के बगल में बैठा था.
आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कनाडा बिना सबूत के लगातार भारत को जिम्मेदार ठहरा रहा है. यह काम कोई और नहीं बल्कि खुद वहां के पीएम जस्टिन ट्रूडो कर रहे हैं. दोनों देशों के राजनयिक संबंधों में दरार आ गई है लेकिन हद तो तब हो गई जब कनाडा में खालिस्तान समर्थकों ने मंदिर और हिंदुओं पर हमला बोला दिया.
वहां की ट्रूडों सरकार और पुलिस प्रशासन तमाशबीन बना रहा. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब दहाड़ा तो वहां की सरकार दिखावे के लिए गिरफ्तारी में जुट गई. इसी बीच पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कनाडा और वहां के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर हमला बोला है और एक दिलचस्प किस्सा बताया है.
बकौल कैप्टन अमरिंदर सिंह जब वह पंजाब के सीएम थे तब उन्हें जानकारी मिली कि कनाडा में सिख उग्रवाद तेजी से बढ़ रहा है. इस पर वहां के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने आंखें मूंद रखी थी और भारत विरोधी ताकतों को संरक्षण देने में जुटे थे. उसी दौरान उन्होंने अपने रक्षा मंत्री को पंजाब भेजा जिससे मिलने से उन्होंने इनकार कर दिया क्योंकि रक्षा मंत्री खुद विश्व सिख संगठन के एक्टिव मेंबर थे जो खालिस्तानी आंदोलन की सदारत कर रही थी.
कुछ महीनों बाद कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो खुद भारत आये, पंजाब विजिट का प्लान बना. सीएम होने के नाते वह उनसे मिलना चाहते थे और आंतकियों की लिस्ट उन्हें सौंपना चाहते थे जो कनाडा में पनाह पाये थे. ट्रूडों को मौका मिला और अपने रक्षा मंत्री के अपमान का बदला लेने के लिए कैप्टन अमरिंदर से मिलने से इनकार कर दिया.
इस पर तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्रूडो से कहा कि अगर वह पंजाब के सीएम से नहीं मिलेंगे तो वहां का दौरा भी नहीं कर पाएंगे. मजबूरी में ट्रूडो कैप्टन अमरिंदर से अमृतसर में मिले, उनके साथ वही रक्षा मंत्री थे जिससे अमरिंदर सिंह ने मिलने से इनकार कर दिया था.
बकौल कैप्टन वहां के रक्षा मंत्री उन्हें मात देने की कोशिश कर रहे थे. उन्हें पंजाब की समस्या और कनाडा में जो चल रहा था उसके बारे में बताया. यह भी बताया कि कैसे कनाडा अलगाववादी आंदोलन का अड्डा बनता जा रहा है. इस मौके पर कैप्टन अमरिंदर ने ट्रूडो को 20 लोगों की लिस्ट भी सौंपी जो अलगाववादी आंदोलन में शामिल थे.
इस लिस्ट में उनके एक मंत्री का भी नाम था जो उस समय उनके बगल में बैठा था. कैप्टन अमरिंदर के मुताबिक ट्रूडो ने कार्रवाई का भरोसा दिया लेकिन कुछ नहीं किया, उल्टे अलगाववादी गतिविधियां बढ़ गई और आज भारत-कनाडा के रिश्ते रसातल में है.
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