अवमानना मामला: इलाहाबाद HC ने IAS रितु माहेश्वरी के खिलाफ जारी किया गैर-जमानती वारंट

अवमानना मामला: प्रयागराज। अवमानना के एक मामले में अदालत में पेश नहीं होने के कारण इलाहाबाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नोएडा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी ऋतु माहेश्वरी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है. अदालत ने निर्देश दिया है कि उन्हे सुनवाई की अगली तारीख 13 मई को पुलिस हिरासत में लाया जाएगा । सुनवाई […]

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अवमानना मामला: इलाहाबाद HC ने IAS रितु माहेश्वरी के खिलाफ जारी किया गैर-जमानती वारंट

Vaibhav Mishra

  • May 7, 2022 8:36 am Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

अवमानना मामला:

प्रयागराज। अवमानना के एक मामले में अदालत में पेश नहीं होने के कारण इलाहाबाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नोएडा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी ऋतु माहेश्वरी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है. अदालत ने निर्देश दिया है कि उन्हे सुनवाई की अगली तारीख 13 मई को पुलिस हिरासत में लाया जाएगा ।

सुनवाई में नहीं हुई हाजिर

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में भूमि अधिग्रहण से जुड़े एक मामले में मुकदमा हारने के बाद भी नोएडा विकास प्राधिकरण ने अदालत के आदेशों का पालन नहीं किया. जिसके खिलाफ अदालत में अवमानना याचिका दायर की गई थी. जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऋतु माहेश्वरी को अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया था. जब गुरुवार मामले की सुनवाई हुई तो सीईओ हाजिर नहीं हुईं. इस पर हाई कोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए ऋतु माहेश्वरी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया है।

पुलिस कस्टडी में होगी पेशी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले में कहा कि नोएडा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी ऋतु माहेश्वरी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने के लिए पर्याप्त आधार है।. कोर्ट ने कहा कि गौतमबुद्ध नगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट इस आदेश का पालन करवाएंगे और 48 घंटों के अंदर इस आदेश की प्रतिलिपि गौतमबुद्ध नगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को उपलब्ध करवाई जाएगी. जानकारी के मुताबिक इस मामले की अगली सुनवाई 13 मई को होगी. जिसमें ऋतु माहेश्वरी को पुलिस कस्टडी में अदालत के सामने पेश किया जाएगा।

पूरा मामला

गौरतलब है कि 30 नवंबर 1989 और 16 जून 1990 को नोएडा के सेक्टर-82 में अथॉरिटी ने ‘अर्जेंसी क्लॉज’ के तहत एक किसान की भूमि का अधिग्रहण किया था. इस अधिग्रहण को जमीन की मालकिन मनोरमा कुच्छल ने चुनौती दी थी. साल 1990 में दायर मनोरमा की याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर 2016 को अपना फैसला सुनाया था. जिसमें कोर्ट ने ‘अर्जेंसी क्लॉज’ के तहत किए गए भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया था. हाई कोर्ट मे कहा था कि नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत सर्किल रेट से दोगुनी दरों पर मनोरमा को मुआवजा दिया जाए. इसके साथ ही कोर्ट ने 5-5 लाख रुपये पर प्रत्येक याचिका का खर्च आंकते हुए किसान को भरपाई करने का भी आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट गई नोएडा अथॉरिटी

नोएडा अथॉरिटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट में भी नोएडा अथॉरिटी मुकदमा हार गई. जिसके बाद भी अथॉरिटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के पुराने आदेश का पालन नहीं किया. इसके बाद मनोरमा ने नोएडा अथॉरिटी के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी. जिसपर कोर्ट ने फैसला सुनाया है।

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