रामपुर। उत्तर प्रदेश की रामपुर सदर विधानसभा उपचुनाव के परिणाम 8 दिसंबर को आ गए। नतीजों ने सियासी समीकरण और इतिहास दोनों बदल कर रख दिया। समाजवादी पार्टी के सबसे मजबूत किले और मोहम्मद आजम खान के गढ़ पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा कर लिया। बीजेपी उम्मीदवार आकाश सक्सेना ने रामपुर सदर सीट से […]
रामपुर। उत्तर प्रदेश की रामपुर सदर विधानसभा उपचुनाव के परिणाम 8 दिसंबर को आ गए। नतीजों ने सियासी समीकरण और इतिहास दोनों बदल कर रख दिया। समाजवादी पार्टी के सबसे मजबूत किले और मोहम्मद आजम खान के गढ़ पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा कर लिया। बीजेपी उम्मीदवार आकाश सक्सेना ने रामपुर सदर सीट से शानदार जीत दर्ज की है।
रामपुर सदर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार आकाश सक्सेना को 81371 वोट मिले हैं, वहीं समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी आसिम राजा को 47271 वोट मिले हैं। आकाश सक्सेना ने उपचुनाव में 34,100 वोट से जीत हासिल की है। इसके साथ ही देश की आजादी के बाद पहली बार रामपुर में भाजपा ने जीत दर्ज की और आजम खान की बादशाहत को खत्म किया।
बता दें कि रामपुर सदर विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी के आकाश सक्सेना का मुकबला सीधे तौर पर आजम खान के बीच नहीं था, लेकिन समाजवादी पार्टी ने आजम के करीबी आसिम राजा को उम्मीदवार बनाया था। रामपुर में पिछले कई दशकों से आजम परिवार का अभेद किला रहा है। पिछले दो विधानसभा चुनावों में मोदी मैजिक होने के बावजूद बीजेपी इस किला को नहीं ढहा पाई थी। आजम खुद यहां से 10 बार विधायक रहे हैं। हाल ही में हेट स्पीच मामले में सजा होने पर उनकी विधानसभा सदस्यता चली गई। जिसके बाद 45 साल के बाद पहली बार ऐसा हुआ जब आजम के परिवार से कोई भी सदस्य इस सीट से चुनाव मैदान में नहीं था।
रामपुर सदर मुस्लिम बाहुल विधानसभा सीट मानी जाती है। यहां पर किसी भी प्रत्याशी की किस्मत का फैसला मुस्लिम मतदाता ही करते हैं। विधानसभा सीट के कुल मतदाताओं में 55 फीसदी मतदाता मुस्लिम हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा संख्या पसमांदा मुसलमानों की है। बीजेपी ने उपचुनाव में उतरने और उम्मीदवार का चयन करने से पहले इन सभी पहलुओं को अच्छे से जाना और रणनीति के तहत मुस्लिम नेताओं को उपचुनाव प्रचार के लिए मैदान में उतारा। पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने तो रामपुर में डेरा डाल दिया था। भाजपा की इसी रणनीती का ही नतीजा है कि वो यहां पर कमल खिला।
बताया जा रहा है कि मतदाताओं में उस समय एक गलत संदेश चला गया जब आजम के करीबी नेता ही खुलकर भाजपा के समर्थन में उतर गए और प्रचार करने लगे। फिर एक समय ऐसा आया जब आजम के निजी मीडिया प्रभारी फसाहत अली खान के साथ ही कई सपा नेताओं ने भाजपा दामन थाम लिया। कई नेता समाजवादी पार्टी में सम्मान न मिलने को लेकर नाराज थे। जिसका सीधा-सीधा फायदा भाजपा को मिला।
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