शिमला. हिमाचल प्रदेश को अपना नया मुख्यमंत्री बन गया है. ऐसे में, कांग्रेस हाईकमान ने सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया है. इसके साथ ही प्रतिभा सिंह के समर्थक विधायक मुकेश अग्निहोत्री को उपमुख्यमंत्री बनाया जा रहा है. कांग्रेस विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री के तौर पर सुक्खू के नाम पर मुहर लग गई है. ऐसे में, रविवार को सुबह 11 बजे सुक्खू का शपथ ग्रहण समारोह होगा. विधायक दल की बैठक के बाद कांग्रेस नेता शाम 7 बजे राज्यपाल से मिलेंगे और हिमाचल में अपनी सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे.
सुक्खू 17 साल की उम्र में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे. हमीरपुर जिले के नादौन निवासी सुखविंदर सिंह सुक्खू बीए एलएलबी (लॉ में डिग्री) करने के बाद छात्र राजनीति से जुड़े. कांग्रेस संगठन में अपनी शुरुआत उन्होंने NSUI से की, यहाँ तकरीबन नौ साल तक वो एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कार्यरत रहे. इसी बीच उन्होंने शिमला में रहते हुए नगर निगम का चुनाव लड़ा और इस चुनाव में जीत हासिल की. ऐसे ही समय के साथ उनकी लाेकप्रियता बढ़ने लगी और फिर उन्हें युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया, सुक्खू लगभग दस साल तक युवा कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर रहे.
हिमाचल की राजनीति में सुखविंदर सिंह सुक्खू को हमेशा से ही कांग्रेस नेत्री विद्या स्टोक्स का समर्थक माना जाता रहा और उन्हें वीरभद्र सिंह के विरोधी गुट का सदस्य भी माना जाता था. 10 साल युवा कांग्रेस लीड करने के बाद उन्होंने हमीरपुर जिले के नादौन से विधानसभा चुनाव लड़ा और चुनाव में जीत भी हासिल की, जिसके बाद वो विधायक चुने गए. इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह के विरोध के बावजूद उन्हें कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. वे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने, अब तक सुक्खू का रिकार्ड समय साढ़े 6 साल तक का रहा है.
हिमाचल की जनता और संगठन में समय के साथ सुक्खू की पकड़ मज़बूत होती गई. तीन साल पहले जब उन्हें अध्यक्ष पद से हटाया गया तो ऐसा माना जा रहा था कि वीरभद्र सिंह गुट उन्हें अब कभी मुख्यधारा में नहीं आने देगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इतना ही नहीं, उस समय अफवाह ये भी उड़ी कि वो पार्टी छोड़ सकते हैं. लेकिन चुनावों से पहले हाईकमान ने उन्हें अहम जिम्मेदारी दी और प्रदेश चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बना दिया, अक्सर पार्टी ने उनपर विश्वास जताया.
सुक्खू के पिछले कामों और उनके अच्छे रिकॉर्ड को देखते हुए कांग्रेस ने इस बार भी सुक्खू पर भरोसा जताया. ऐसे में, पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार चयन समिति में प्रमुख सदस्य बना कर उनका कद सबसे ऊपर रखा. इसी कड़ी में उन्होंने कड़ी मेहनत की और पूरे प्रदेश में प्रचार करने के लिए भी गए, ये पहली बार नहीं है जब वो मुख्यमंत्री की रेस में थे इससे पहले भी उनका नाम मुख्यमंत्री पद की रेस में था.
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