शिमला। हिमाचल प्रदेश की जनता का फैसला गुरूवार को सामने आ गया। राज्य में सत्ता परिवर्तन का रिवाज इस बार भी नहीं बदला और बीजेपी को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी। चुनाव परिणाम में कांग्रेस को 40, बीजेपी को 25 और अन्य को तीन सीटों पर विजय मिली है।
भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर करने में बागियों का बड़ा योगदान रहा है। बीजेपी से बगावत करके चुनाव लड़ने वाले दो उम्मीदवारों ने चुनाव में जीत दर्ज की है, वहीं 8 उम्मीदवारों ने बीजेपी के वोट शेयर में सेंध लगाई है। बागियों की वजह से ही बीजेपी को बड़ा उठाना पड़ा और सरकार के 8 मंत्री चुनाव हार गए।
बता दें कि बागियों की वजह से बीजेपी को जिन सीटों पर तगड़ा नुकसान उठाना पड़ा है, वो हैं बंजार, बिलासपुर, फतेहपुर ज्वालामुखी, पच्छाद, सुल्लह और ठिगोग विधानसभा सीट। इन सभी सीटों पर बागी नेताओं की वजह से भारतीय जनता पार्टी का वोट शेयर कम हुआ।
केएल ठाकुर- नालागढ़ विधानसभा सीट से बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर केएल ठाकुर ने निर्दलीय पर्चा भरा और जीत भी हासिल की। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार हरदीप सिंह बावा को 13 हजार से अधिक वोटों से मात दी। बता दें कि साल 2012 में केएल ठाकुर ने 2012 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीता था।
होशियार सिंह- कांगड़ा जिले के देहरा विधानसभा सीट से बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर होशियार सिंह ने निर्दलीय पर्चा भरा और जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचने में कामयाब हुए। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में वह इसी सीट से बीजेपी के टिकट पर जीते थे।
धर्मशाला- विपिन नैहरिया, 7,416 वोट
इंदौरा सीट- मनोहर धीमान, 4,442 वोट
कुल्लू- राम सिंह, 11,937 वोट
बड़सर- संजीव कुमार, 15,252 वोट
किन्नौर- कुलवंत सिंह नेगी, 8,574 वोट
ज्वालामुखी सीट- अतुल चौधरी, 15.89% वोट
कांग्रेस पार्टी को साल 2018 के बाद पहली बार किसी राज्य में पूर्ण बहुमत मिला है। पार्टी ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए 68 में से 40 सीटें अपने नाम की है। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने गुरूवार को मीडिया से बात करते हुए राज्य की जनता का धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा है कि जीते हुए विधायक और आलाकमान तय करेगा कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में पिछले लगभग चार दशक से हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन की परंपरा रही है। साल 1985 के बाद से राज्य में कोई भी पार्टी अपनी सरकार को रिपीट नहीं कर पाई है। वर्तमान में हिमाचल की सत्ता में काबिज बीजेपी की कोशिश इसी रिवाज को तोड़कर अपना राज कायम रखने की थी लेकिन वो कामयाब नहीं हुई।
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