बालासोर: शुक्रवार की शाम ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन एक्सीडेंट ने 250 से अधिक लोगों की जान ले ली है. इस भीषण दुर्घटना के दो दिन बाद रेलवे बोर्ड ने प्रेस वार्ता कर पूरी घटना की कहानी समझाई है. रेलवे बोर्ड की सदस्य जया वर्मा ने रविवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा […]
बालासोर: शुक्रवार की शाम ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन एक्सीडेंट ने 250 से अधिक लोगों की जान ले ली है. इस भीषण दुर्घटना के दो दिन बाद रेलवे बोर्ड ने प्रेस वार्ता कर पूरी घटना की कहानी समझाई है. रेलवे बोर्ड की सदस्य जया वर्मा ने रविवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि केवल कोरोमंडल एक्सप्रेस ही हादसे का शिकार हुई है. उन्होंने बताया है कि इस हादसे को लेकर लोगों के बीच कुछ गलतफहमियों को लेकर जानकारी देना जरूरी है ताकि स्थिति को स्पष्ट किया जा सके.
रेल मंत्रालय की सदस्य जया वर्मा ने मीडिया को बताया कि हादसे के बाद सबसे पहले रिलीज फॉर रेस्क्यू किया गया जो अब पूरा हो चुका है. अब रीस्टोरेशन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. उन्होंने आगे बताया कि बालासोर जिले में बहनगा बाजार रेलवे स्टेशन है जहां ये हादसा 2 जून, शुक्रवार शाम 6:55 बजे हुआ और कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई. उन्होंने बताया कि स्टेशन पर जो दो गाड़ियां खड़ी थीं वह भी इस हादसे की चपेट में आ गईं. दो मेल एक्सप्रेस गाड़ियों को उस समय स्टेशन से अलग-अलग दिशाओं से गुजरना था. स्टेशन पर दो मेन लाइन हैं जहां बिना रुके ट्रेनें आया जाया करती हैं इसे ही लूप लाइन कहा जाता है जहां गाड़ियां रोकी जाती हैं.
प्रेस वार्ता में रेलवे बोर्ड ने बताया कि जिस समय हादसा हुआ उस समय लूप लाइन पर 2 गाड़ियां खड़ी थीं जिन्हें वहाँ रोका गया था ताकि बाकी लाइन पर रुकने वाली ट्रेनें गुजर सकें. यशवंतपुर एक्सप्रेस चेन्नई की तरफ से आ रही थी जिसकी आवाज़ आ रही थी. कोरोमंडल से कुछ सेकंड पहले ये गाड़ी आ रही थीं. इस बीच कोरोमंडल एक्सप्रेस चेन्नई जाने के लिए हावड़ा की दिशा से शालीमार रेलवे स्टेशन से आ रही थी. इसके लिए सिग्नल हरा कर दिया गया था और सब कुछ सेट था. इस दौरान रेल बोर्ड ने ओवरस्पीडिंग की किसी भी बात से इनकार किया है जहां जया वर्मा ने बताया कि लोको पायलट को सिग्नल ग्रीन दिखाया जा रहा था इसलिए उसे सीधा जाना था.
ड्राइवर को अपनी तय स्पीड के अनुसार हरे सिग्नल को देखते हुए बिना रुके आगे जाना था. इसके लिए यह 128 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से आगे बढ़ रहा था. इस दौरान दूसरी ओर से यशवंत एक्सप्रेस भी 126 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आ रही थी. रेल मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि 36 घंटे से रेल मंत्री सभी तरह के ऑपरेशन और बचाव मदद कार्य को मॉनिटर कर रहे हैं. इस दौरान सिग्नलिंग में कोई परेशानी नहीं पाई गई है.