लखनऊ। फिल्म आदिपुरुष के आपत्तिजनक डायलॉग के मामले को लेकर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में लगातार तीसरे दिन सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि जिस रामायण के किरदारों की लोग पूजा करते हैं, उसे एक मजाक के रूप में कैसे दिखाया जा सकता है. अदालत ने कहा कि सेंसर बोर्ड ने ऐसी फिल्म को कैसे पास कर दिया. इस फिल्म को पास करना एक बड़ा ब्लंडर है. फिल्म के निर्माताओं को सिर्फ पैसा कमाने से मतलब है.
हाईकोर्ट ने कहा कि आप कुरान पर एक छोटी सी डॉक्यूमेंट्री बनाकर देखें, जिसमें चीजों को गलत तरीके से दिखाया गया, फिर आपकों पता चल जाएगा कि क्या-क्या हो सकता है. अदालत ने कहा कि मैं साफ कर दूं कि किसी भी एक धर्म को टच न करें. आप किसी भी धर्म के बारे में गलत तरीके से ना दिखाएं. कोर्ट किसी धर्म नहीं मानता है और वह सभी लोगों की भावनाओं की कद्र भी करता है.
इससे पहले कल (27 जून) को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए भगवान राम और भगवान हनुमान समेत धार्मिक पात्रों को आपत्तिजनक तरीके से पेश करने पर आदिपुरुष फिल्म के निर्माताओं की कड़ी आलोचना की. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि जो सज्जन हैं उन्हें हमेशा दबाना सही है क्या? यह तो अच्छा है कि यह एक ऐसे धर्म को लेकर है, जिसके मानने वालों ने फिल्म को लेकर पब्लिक ऑर्डर से जुड़ी प्राब्लम क्रिएट नहीं की. इसके लिए हमें उनका बहुत आभारी होना चाहिए.
कोर्ट ने आगे कहा कि हमने खबरें पढ़ी हैं कि कुछ लोगों ने सिनेमा हॉल में जहां यह फिल्म प्रदर्शित हो रही थी, वहां जाकर हॉल को बंद करने के लिए मजबूर किया. वे इसके अलावा भी बहुत कुछ कर सकते थे. कोर्ट ने कहा कि ये याचिका इसी को लेकर है कि जिस तरह से यह फिल्म बनाई गई है. धार्मिक ग्रंथ ऐसे हैं, जो लोगों के लिए पूज्नीय हैं. बहुत सारे लोग घरों से निकलने से पहले रामचरित मानस को पढ़ते हैं. ऐसे में पूज्यनीय धार्मिक पात्रों को आपत्तिजनक तरीके से पेश करना गलत है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने याचिकाकर्ता प्रिंस लेनिन और रंजना अग्निहोत्री की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि क्या सेंसर बोर्ड ने अपनी जिम्मेदारी सही से निभाई है? फिल्म निर्माता भगवान हनुमान और मां सीता को ऐसा दिखाकर समाज में क्या संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं. इसके साथ ही सॉलिसटर जनरल से जवाब मांगते हुए बेंच ने कहा कि यह मामला गंभीर है. क्या आप सेंसर बोर्ड से यह पूछ सकते हैं कि यह कैसे किया गया? क्योंकि राज्य सरकार इस मामले पर कुछ नहीं कर सकती है.
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