नई दिल्ली। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और केरल के वायनाड से लोकसभा सांसद राहुल गांधी आज 52 साल के हो गए। उनका जन्म दिल्ली में 19 जून 1970 को हुआ था। केंद्र सरकार द्वारा सेना में चार साल की भर्ती के लिए लाई गई योजना अग्निपथ को लेकर युवाओं के जारी प्रदर्शन की वजह से उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से उनका जन्मदिन नहीं मनाने की अपील की है। बता दें कि इससे पहले राहुल ने अपना 50वां और 51वां जन्मदिन भी नहीं मनाया था। उन्होंने 50वां जन्मदिन कोरोना और 51वां जन्मदिन मिल्खा सिंह की मौत के कारण नहीं मनाने का फैसला किया था।
राहुल गांधी के जन्म को लेकर कई विपक्षी नेता सवाल उठाते रहते है कि उनका जन्म भारत में नहीं बल्कि इटली में हुआ था। लेकिन सच्चाई ये है कि राहुल भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पैदा हुए थे। वक्त था 17 जून 1970 का जब सोनिया गांधी को दिल्ली के सफदरगंज में स्थित होली फैमिली हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था। उनकी देखभाल के लिए डॉक्टरों की एक विशेष टीम हॉस्पिटल में मौजूद थे। टीम के साथ राजीव गांधी भी मौजूद थे। डॉक्टरों ने बच्चे के जन्म से जुड़ी जो रिपोर्ट पहले दी थी उसमे बताया गया था कि बच्चे का जन्म जून महीने के आखिरी सप्ताह में हो सकता है। लेकिन सोनिया गांधी ने 19 जून को एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।
बताया जाता है कि जिस वक्त राहुल का जन्म हुआ राजीव गांधी हॉस्पिटल के उसी कमरे में डॉक्टरों की टीम के साथ मौजूद थे। जब राहुल पैदा हुए तो राजीव ने अपना कैमरा निकाला और रुलाई के पहली आवाज को रिकॉर्ड किया। इसके बाद उन्होंने नवजात बच्चे को संभाला और मां का दूध पिलाया। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जब ये खबर मिली कि सोनिया गांधी को बेटा हुआ है तो वो भी होली फैमिली हॉस्पिटल पहुंच गई।
राजीव और सोनिया अपने नवजात बच्चे को लेकर जब होली फैमिली हॉस्पिटल से घर के लिए निकले तो सड़क के दोनों तरफ लोगों की भारी भीड़ लगी थी। वो दोनो जब सफदरगंज रोड स्थित अपने घर पहुंचे तो वहां पर करीब 2 हजार लोग इकट्ठा थे। एक साधु महाराज घर में नवजात बच्चे की कुण्डली बनाने आए थे। दादी इंदिरा गांधी ने नवजात का नाम राहुल सुझाया था। उन्होंने कहा था कि मैं भी अपने बेटे का नाम राहुल रखना चाहती थी, लेकिन पिता जवाहर को राजीव नाम बहुत पसंद था इसलिए उन्होंने ये नाम रखने को कहा था। बताया जाता है कि इंदिरा गांधी गौतम बुद्ध से बेहद प्रभावित थीं। इसलिए उन्होंने बच्चे का नाम बुद्ध के बेटे राहुल के नाम से सुझाया था। बाद में राजीव और सोनिया गांधी ने भी इस नाम पर अपनी सहमति जता दी थी।
जेवियर मोरो द्वारा लिखित किताब द रेड साड़ी में बताया गया है कि इंदिरा राहुल को बहुत प्यार करती थीं। उनका लगाव ऐसा था कि वो बीच संसद सत्र से निकल कर राहुल के पास चली आती थीं। वो अपने पोते को दुलारते हुए कहती थी कि ये बिल्कुल राजीव की तरह दिखता है।
राहुल गांधी के जब पांच महीने के हुए तब उनकी मां सोनिया पहली बार उन्हें लेकर इटली गईं। जहां घर पर राहुल के नाना स्टीफेनो मायने बहुत बेसब्री से उनसे मिलने का इंतजार कर रहे थे। सोनिया घर पहुंची और राहुल को अपनी मां को थमाया और बिना कुछ बोले पिता स्टीफेनो के गले लग गईं। इसके बाद स्टीफेनो ने राहुल को अपनी गोद में लिया और घंटों तक उन्हें दुलारते रहे।
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