New Delhi : नई दिल्ली Oting,नागालैंड ( Nagaland ) में AFSPA को लेकर चल रही तनातनी के बीच GNF ( ग्लोबल नगा फोरम ) ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखा है। नगा संगठन ने अपने खुले पत्र में कहा, कि पूर्वोत्तर राज्यों मणिपुर, मेघालय, नागालैंड राज्यों से AFSPA हटा दी जानी […]
Oting,नागालैंड ( Nagaland ) में AFSPA को लेकर चल रही तनातनी के बीच GNF ( ग्लोबल नगा फोरम ) ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखा है। नगा संगठन ने अपने खुले पत्र में कहा, कि पूर्वोत्तर राज्यों मणिपुर, मेघालय, नागालैंड राज्यों से AFSPA हटा दी जानी चाहिए, क्योंकि नागरिक और सामाजिक संस्थाएं इस अवैध कानून को हटाना चाहती हैं।
4 दिसंबर को नागालैंड ( Nagaland ) के ओटिंग में सुरक्षाबलों की कार्यवाई में मारे गए 14 मजदूरों की मौत के बाद AFSPA कानून के खिलाफ आवाजों का उठना तेज हो गया। 30 दिसंबर को दिल्ली में गृह मंत्री के साथ मीटिंग के बाद नागालैंड को “अशांत क्षेत्र” की घोषणा की।
30 दिसंबर को दिल्ली में अमित शाह से मिलने के बाद नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफियु रियो ने AFSPA को लेकर 5 सदस्य समिति गठित की, जिसमे केंद्र सरकार के सदस्य सहित, असम राइफल्स,केंद्रीय रिजर्व बाल और राज्य पुलिस महानिदेशक के एक-एक प्रतिनिधि शामिल होंगे।
नागालैंड के उपमुख्यमंत्री वाई पैटन और नगा पीपुल्स फ्रंट के नेता और विधायक दल टी आर जेलियांग के द्वारा जारी एक संयुक्त बयान जारी कर कहा, कि, चुनी गई समिति के सदस्य 45 दिनों के अंदर अपनी सिफारिशें दें, ताकि उस मत के आधार पर नगालैंड को “अशांत क्षेत्र” के रूप में देखा जाय या नही साथ ही नागालैंड से AFSPA को वापस लेने का फैसला भी लिया जाएगा, नईदिल्ली में होने चुकी 23 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में नगालैंड की मौजूदा हालात पर चर्चा की गई। जिसके बाद यह निर्णय लिया गया।
नागालैंड के ओटिंग हत्याकांड को लेकर फोरम की को-ऑपरेटर प्रो. रोजमेरी दुविचु और सेक्रेट्री प्रो. पॉल पिमोमो ने अपने खुले पत्र में लिखा, कि, हत्याकांड में मारे गये लोगों के परिवार के लोग अभी भी ग़म मना रहे हैं, पर अफसोस इस बात का है, कि, सरकार की ओर से हत्याओं की कोई नैतिक जिम्मेदारी नहीं ली गई, और ना ही हत्या का कारण बने AFSPA ( सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम 1958) को हटाने की कोई कोशिश की.