श्रीनगर/नई दिल्ली। देश को कल यानी 28 मई को संसद भवन की नई इमारत मिलने वाली है. प्रधानमंत्री मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. वहीं इसे लेकर देश में सियासत भी जारी है. विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम का ये कहते हुए बहिष्कार कर दिया है कि इसका उद्घाटन राष्ट्रपति […]
श्रीनगर/नई दिल्ली। देश को कल यानी 28 मई को संसद भवन की नई इमारत मिलने वाली है. प्रधानमंत्री मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. वहीं इसे लेकर देश में सियासत भी जारी है. विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम का ये कहते हुए बहिष्कार कर दिया है कि इसका उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों होना चाहिए, प्रधानमंत्री के नहीं. इस बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने नई संसद को लेकर सरकार को बधाई दी है.
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अगर मैं दिल्ली में होता तो नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में जरूर शामिल होता. विपक्ष को रिकॉर्ड समय में नई संसद बनाने के लिए सरकार की प्रशंसा करनी चाहिए, जबकि वे सरकार की आलोचना कर रहे हैं. मैं विपक्ष द्वारा इसका बहिष्कार करने के सख्त खिलाफ हूं.
#WATCH | I would surely attend the inauguration ceremony of the new Parliament building if I was in Delhi. The opposition should praise the government to build the new Parliament in record time, whereas they are criticising the govt. I am strictly against the opposition… pic.twitter.com/fo5bayAwcn
— ANI (@ANI) May 27, 2023
बता दें कि 21 विपक्षी दलों ने उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है. उनकी मांग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जगह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू नई संसद की इमारत का उद्घाटन करें. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब) के सांसद संजय राउत इस मामले को लेकर ज्यादा मुखर हैं. उन्होंने कहा है कि पीएम विदेश में जाकर लोकतंत्र की बात करते हैं, जबकि सच्चाई तो ये है कि देश में लोकतंत्र की हत्या हो गई है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी सबसे पहले राष्ट्रपति नए सांसद भवन के उद्घाटन का न्योता दीजिए, उसके बाद लोकतंत्र की बात कीजिए.
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी बुधवार को विपक्षी दलों से इस बहिष्कार पर फिर से विचार करने की अपील की थी. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि मैं विपक्षी नेताओं को बताना चाहता हूं कि यह एक ऐतिहासिक घटना है. इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. यह राजनीति का समय नहीं है. उन्होंने कहा कि नई संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करना और उसे मुद्दा बनाना सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं विपक्षी पार्टियों से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करता हूं.
New Parliament: जानिए नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर क्या कहता है भारत का संविधान