नई दिल्ली. देश के बड़े उद्योगपतियों में शुमार गौतम अडानी इस बार बुरे फंसे हैं. 265 मिलियन डॉलर रिश्वत देने/योजना बनाने को लेकर न्यूयार्क की फेडरल कोर्ट में जो केस दर्ज हुआ है उसमें उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है. कोर्ट ने उन्हें और सागर के लिए गिरफ्तारी वारंट भी जारी कर दिया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी अडाणी को गिरफ्तार करने की मांग की है. हालांकि अडानी समूह ने रिश्वत वाले आरोप को बेबुनियाद बताया है जबकि ह्वाइट हाउस ने कहा है कि भारत के साथ अमेरिका के मजबूत रिश्ते हैं और जैसे अन्य मुद्दों को सुलझाते आये हैं इसे भी सुलझा लेंगे.
इसमें दो महत्वपूर्ण सवाल उभरते हैं, पहला यह कि क्या गौतम अडाणी गिरफ्तार होंगे और अमेरिका में केस हुआ है तो क्या भारत सरकार अडाणी को प्रत्यर्पित करेगी. इसका जवाब है कि अमेरिका प्रत्यर्पण की मांग कर सकता है. अभी केस शुरुआती दौर में हैं और अडाणी और उनके भतीजे समेत आठ लोग आरोपी हैं न कि दोषी. लगभग 2200 करोड़ रुपये की रिश्वत देने के जो आरोप लगे हैं उसको लेकर यह अभी स्पष्ट नहीं है कि भुगतान हुआ या सिर्फ प्लानिंग हुई थी. भुगतान हुआ तो कितना हुआ. प्रत्यर्पण होगा या नहीं यह भारत की अदालत तय करेगी जिसमें यह देखा जाएगा कि अमेरिका जिस अपराध की बात कर रहा है वो हुआ कि नहीं और यदि हुआ तो क्या वह काम भारत में भी अपराध है.
दूसरा महत्वपूर्ण सवाल है कि यदि आरोप सिद्ध हुए हुए तो अडाणी समेत अन्य आरोपियों को कितनी सजा होगी. जानकारी के मुताबिक रिश्वत देने के आरोपी में 5 साल और धोखाधड़ी व साजिश के मामले में 20 साल तक की सजा हो सकती है. इसके अलावा उन पर भारी भरकम जुर्माना भी लगाया जा सकता है लेकिन कानून के जानकार मानते हैं कि केस के निर्णय तक पहुंचने में बहुत समय लगेगा. अडाणी की वकीलों की फौज आरोपों का अध्ययन कर उसे चैलेंज कर सकती है अथवा ऊपरी आदालत का दरवाजा खटखटा सकती है.
दरअसल अडाणी ग्रुप ने 2021 में स्वविकसित सौर सेल-मॉड्यूल आधारित संयंत्रों के जरिए 8,000 मेगावाट यानी कि आठ गीगावाट बिजली की आपूर्ति के लिए बोली जीती. आरोप है कि अडानी ग्रुप बिजली खरीदने वाले राज्यों आंध्र प्रदेश और उड़ीसा की मूल्य अपेक्षाएं पूरा नहीं कर सका. आरोपों के मुताबिक इसको लेकर अडाणी परेशान हुए और 2021 में आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी से मुलाकात की जिसमें 7000 मेगावाट बिजली खरीदने पर सहमति बनी. इसके लिए 20 करोड़ डॉलर यानी कि लगभग 1750 करोड़ देने पर सहमति बनी. आरोपों के मुताबिक आंध्र के अधिकारियों को 25 लाख रुपये प्रति मेगावाट की दर से ‘रिश्वत’ देने की बात हुई. ठीक इसी तरह ओडिशा ने 500 मेगावाट बिजली खरीदी थी
खास बात यह है कि अमरीकी अदालत में लगाये गये आरोपों में जगनमोहन रेड्डी को भारतीय अधिकारी बताया गया है. एक सवाल यह भी है कि भारत में रिश्वत देने जैसे मामले का अमेरिका से भला क्या संबंध? इसका जवाब है कि अडाणी की कंपनी ने जो धन जुटाये उसमें अमेरिका के लोगों ने भी इंवेस्ट किया और वहां के कानून के मुताबिक यदि अमेरिकी नागरिकों के पैसे का गलत इस्तेमाल होता है तो वह अपराध है और ऐसा करने वाले को दंड भुगतना पड़ेगा.
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