लखनऊ: बुधवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित कोर्ट परिसर ताबड़तोड़ गोलियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. कुछ अज्ञात बदमाशों ने पश्चिम यूपी के खूंखार गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ संजीव जीवा की पुलिस सुरक्षा के बीच गोली मारकर हत्या कर दी. पुलिस कस्टडी में हुई इस हत्या ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश पुलिस […]
लखनऊ: बुधवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित कोर्ट परिसर ताबड़तोड़ गोलियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. कुछ अज्ञात बदमाशों ने पश्चिम यूपी के खूंखार गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ संजीव जीवा की पुलिस सुरक्षा के बीच गोली मारकर हत्या कर दी. पुलिस कस्टडी में हुई इस हत्या ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश पुलिस की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं. बता दें, कोर्ट परिसर मे हुए गोलीकांड को अंजाम देने वाले हमलावर वकील बनकर आए थे. इस पूरे हत्याकांड को जानने से पहले आपके लिए ये जान लेना जरूरी है कि आखिर कौन है संजीव जीवा जिसे माफिया मुख्तार अंसारी का करीबी कहा जाता है.
जीवा माफिया मुख्तार अंसारी का शार्प शूटर है. 5 फीट 7 इंच लंबा संजीव जीवा मुजफ्फरनगर का निवासी है. वह मूल रूप से शाहपुर थाना क्षेत्र के आदमपुर गांव का रहने वाला है जिसका हालिया पता प्रेमपुरी, थाना कोतवाली मुजफ्फरनगर बन गया है. दिल्ली के सोनिया विहार में उसका एक अस्थाई मकान भी है. जानकारी के अनुसार संजीव जीवा ने 12वीं तक पढाई की थी. वर्तमान में वह जिला कारागार लखनऊ में बंद था. संजीव जीवा एक कुख्यात अपराधी है जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहा था. सुशील मूंछ और संजीव जीवा के बीच अक्सर ही लड़ाई देखने को मिलती थी. ये लड़ाई प्रॉपर्टी पर अवैध कब्ज़ों और रंगदारी को लेकर थी.
दरअसल साल 2006-07 में जीवा गैंग ने सुशील गैंग के हरवीर सिंह की हत्या को अंजाम दिया था जिसे लेकर दोनों गैंग के बीच तनाव रहा. जीवा ज्वालापुर हरिद्वार के निवासी नाज़िम के लिए काम करता था. उसी के गैंग में रहकर जीवा ने अपराध की ABCD सीखी. नाजिम समेत संजीव जीवा, सतेंद्र, बलवेंद्र, जितेंद्र उर्फ भूरी, पवन, अमरजीत उर्फ बबलू, रमेश ठाकुर इस गैंग के मुख्य सदस्य थे जो हरिद्वार, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और इसके आस-पास के इलाकों में अपहरण, डकैती, हत्या व लूट आदि जैसे अपराध किया करते थे.
इसी गैंग पर पूर्व मंत्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या का आरोप था जिनकी फर्रुखाबाद में हत्या कर दी गई थी. इस मामले में जीवा को 20 साल की सजा सुनाई गई थी. भूरी और रमेश ठाकुर जो इसी गैंग के सदस्य थे पहले ही पुलिस मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं.
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