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अटल-आडवाणी से मोदी-शाह तक, 2 से 303 सीटों का सफर… जानें दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी 'बीजेपी' की कहानी

अटल-आडवाणी से मोदी-शाह तक, 2 से 303 सीटों का सफर… जानें दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी 'बीजेपी' की कहानी

नई दिल्ली। केंद्र और कई राज्यों में सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी आज यानी 6 अप्रैल को अपना स्थापना दिवस मना रही है। आज ही के दिन 43 साल पहले 1980 में बीजेपी का गठन किया गया था। अपनी स्थापना के बाद से पिछले चार दशकों में बीजेपी ने काफी लंबा सियासी सफर तय किया। इस दौरान भगवा पार्टी ने कभी सत्ता का स्वाद चखा तो कभी करारी हार का सामना किया। कभी सिर्फ 2 सांसदों की पार्टी रही बीजेपी के आज लोकसभा में 303 सदस्य हैं। भाजपा आज दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। वो पिछले 9 सालों से पूर्ण बहुमत से केंद्र की सत्ता में है।

आइए जानते हैं कि भारत में आज जिस पार्टी के पास सबसे ज्यादा लोकसभा-राज्यसभा सांसद, विधायक और विधान परिषद सदस्य हैं, उसके बनने से लेकर अब तक की कहानी क्या है…

पहले भारतीय जनसंघ था पार्टी का नाम

वैसे तो भारतीय जनता पार्टी की आधिकारिक रूप से स्थापना 6 अप्रैल, 1980 को हुई थी, लेकिन पहले उसे भारतीय जनसंघ के नाम से जाना जाता था। आजाद भारत की पहली सरकार में मंत्री रहे श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से नाता तोड़कर साल 1951 में जनसंघ का गठन किया था। ‘हिंदू पहचान और संस्कृति का संरक्षण’ ये भारतीय जनसंघ का आदर्श वाक्य था। जनसंघ की स्थापना राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सहयोग से हुई थी। इसे RSS की राजनीतिक शाखा भी कहा जाता था।

 

1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन

आपातकाल के बाद जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हो गया था। 1977 के आम चुनाव में जनसंघ के नेता जनता पार्टी के उम्मीदवार तौर पर लड़े थे। इसके बाद मोरारजी देसाई की सरकार में जनसंघ के कई नेताओं को मंत्री पद भी मिला था, लेकिन बाद में जनता पार्टी में अंदरूनी कलह बढ़ गई और मोरारजी देसाई ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद दोहरी सदस्यता के मुद्दे पर अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी ने जनता पार्टी से अलग हो कर 6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गठन किया। अटल बिहारी वाजपेयी बीजेपी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।

1984 के चुनाव में सिर्फ 2 सांसद जीते

भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद साल 1984 में देश में आम चुनाव होते हैं। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी की लहर देखने को मिली। कांग्रेस ने अपने इतिहास में पहली बार 400 से अधिक सीटें जीती। नई नवेली पार्टी बीजेपी का चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन रहा। बीजेपी के सिर्फ दो सदस्य चुनकर लोकसभा पहुंचे। इसके बाद 1990 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के जोर पकड़ने के बाद भाजपा ने कामयाबी के रास्ते पर बढ़ना शुरू कर दिया और चुनावों में पार्टी का ग्राफ ऊपर चढ़ने लगा।

 

1996 में बीजेपी ने केंद्र में बनाई सरकार

साल 1996 में हुआ लोकसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती है। बीजेपी ने चुनाव में 161 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की। अटल बिहारी बाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बनते हैं, लेकिन बहुमत साबित करने में असफल होने पर वह 13 दिन बार इस्तीफा दे देते हैं। इस तरह केंद्र की सत्ता में बीजेपी सिर्फ 13 दिन ही सरकार चला पाती है। इसके बाद 1998 के चुनाव में भाजपा ने 182 सीटें जीती और वाजपेयी फिर से प्रधानमंत्री बने। बाद में तमिलनाडु की पार्टी एआईएडीएमके ने एनडीए गठबंधन से अपना समर्थन वापस ले लिया और 13 महीने बाद सरकार गिर गई। बाद में 1999 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने जीत हासिल की। इस बार अटल बिहारी वाजपेयी ने पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा किया। ऐसा करने वाले पहले गैर कांग्रेस प्रधानमंत्री बने।

नरेंद्र मोदी के करिश्मे ने बहुमत दिलाया

बीजेपी ने साल 2013 के आखिर में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया। इसके बाद मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने 2014 का लोकसभा चुनाव और ऐतिहासिक जीत हासिल की। भारत के इतिहास में पहली बार कांग्रेस के अलावा किसी दल ने अपने बूते केंद्र में सरकार बनाई। नरेंद्र मोदी देश के 14वें प्रधानमंत्री बने। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने फिर से भारी बहुमत से सत्ता में वापसी की। इस दौरान बीजेपी ने अपना स्वर्णिम युग भी देखा, जब केंद्र के साथ ही देश के 18 राज्यों में भाजपा और उसके गठबंधन की सरकार बनी। वर्तमान में बीजेपी उत्तर से लेकर दक्षिण और पश्चिम से लेकर पूर्व तक कई राज्यों में या तो अपने दम पर सरकार चला रही है या फिर वो सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा है।

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