नई दिल्ली: सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय नहीं रहे. मंगलवार रात महाराष्ट्र के मुंबई में उन्होंने 75 साल की उम्र में अपनी आखिरी सांस ली. एक सामान्य परिवार से आने वाले सुब्रत रॉय के बड़े कारोबारी बनने का सफर बेहद खास है. नमकीन बेचने से अपने करियर की शुरूआत करने वाले सुब्रत राय का एक वक्त […]
नई दिल्ली: सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय नहीं रहे. मंगलवार रात महाराष्ट्र के मुंबई में उन्होंने 75 साल की उम्र में अपनी आखिरी सांस ली. एक सामान्य परिवार से आने वाले सुब्रत रॉय के बड़े कारोबारी बनने का सफर बेहद खास है. नमकीन बेचने से अपने करियर की शुरूआत करने वाले सुब्रत राय का एक वक्त एयरलाइन, मीडिया, बॉलीवुड और क्रिकेट से लेकर रियल स्टेट तक जलवा रहा था. फिर नियमों का उल्लंघन करने पर 24 हजार करोड़ रुपये का केस हुआ और आखिरी के सालों में जेल भी जाना पड़ा.
आइए जानते हैं निवेशकों और सहारा कर्मचारियों के बीच सहाराश्री कहलाए जाने वाले सुब्रत रॉय के जिंदगी की कहानी…
सुब्रत राय का जन्म 10 जून, 1948 को बिहार के अररिया में सुधीर चंद्र रॉय और छवि के घर हुआ था. सुब्रत के जन्म के कुछ सालों बाद ही उनका परिवार बेहतर भविष्य के लिए बिहार से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर में शिफ्ट हो गया. रॉय का बचपन माता-पिता और भाई-बहनों के साथ गोरखपुर के तुर्कमान इलाके में बीता. सुब्रत बचपन में बेहद प्रतिभाशाली छात्र थे. होली चाइल्ड स्कूल से शुरूआती पढ़ाई करने के बाद उन्होंने सरकारी तकनीकी संस्थान, गोरखपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया था.
सुब्रत रॉय ने अपने करियर की शुरूआत नमकीन बेचने से की थी. वह अपने लैंब्रेटा स्कूटर पर जया प्रोडेक्ट के नाम नमकीन बेचते थे. इसके बाद साल 1978 में उन्होंने गोरखपुर में एक छोटे से दफ्तर से सहारा की नींव रखी. देखते ही देखते सहारा से लाखों लोग जुड़े और सुब्रत रॉय सहारा श्री कहलाए जाने लगे. बता दें कि सहारा कई तरह के इन्वेस्टमेंट प्लान को चलाता था. जिसमें डेली, मंथली, क्वार्टली और एनुअल डिपॉजिट जैसी सर्विस शामिल थी. बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट, रेकरिंग डिपॉजिट और दूसरी कंपनियों की तुलना में सहारा 3-4 फीसदी ज्यादा ब्याज देता था. इससे लोग निवेश के लिए सहारा की ओर ज्यादा रूख करते थे.
बाद ने सुब्रत रॉय वे कई व्यवसायों में सहारा का विस्तार किया. सहारा फाइनेंस, रियल एस्टेट, मीडिया और हॉस्पिटैलिटी के क्षेत्र में घुसा. रॉय के नेतृत्व में साल 1991 में एयर सहारा एयरलाइन की स्थापना की गई. फिर 1993 के अंत में सहारा एयरलाइन की उड़ानें शुरु हुईं. बाद में 2007 में जेट एयरवेज ने इसे खरीद लिया और जेट लाइट नाम दिया. सहारा ने साल 2003 में न्यूज चैनल सहार समय को लॉन्च किया. बाद में इसके कई रीजनल चैनल लॉन्च हुए. फिर मूवी और एंटरनेटमेंट चैनल भी लॉन्च किए गए. सहारा ने सहारा वन मोशन पिक्चर्स के जरिए कई बॉलीवुड फिल्में भी रिलीज की. इसके साथ ही सहारा ग्रुप साल 2001 से 2013 तक भारतीय क्रिकेट टीम का स्पॉन्सर रहा. 2011 में सहारा की क्रिकेट टीम पुणे वॉरियर्स आईपीएल में शामिल हुई. हालांकि बाद में जब सहारा की स्थिति खराब हुई तो करार खत्म करना पड़ा.
सुब्रत रॉय के पतन की शुरूआत साल 2009 से ही हो जाती है, जब सहारा ग्रुप की कंपनी प्राइम सिटी का आईपीओ आया. रॉय पर दो कंपनियों रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड में नियमों के खिलाफ जाकर लोगों से पैसे निवेश करवाने का आरोप लगा. सेबी को दोनों कंपनियों के फंड जुटाने के प्रोसेस में कमी मिली. सेबी को जांच में पता चला कि दोनों कंपनियों ने ओएफसीडीएस (ऑप्शनली फुली कन्वर्टिबल डिबेंचर) के जरिए करीब 2-2.5 करोड़ लोगों से 24 हजार करोड़ रुपये जुटाए हैं. इसके बाद सेबी ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि बॉन्ड जारी करने के लिए सहारा ने उससे इजाजत क्यों नहीं ली? मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और रॉय को जेल भी जाना पड़ा. 28 फरवरी 2014 को सर्वोच्च न्यायालय ने सुब्रत रॉय को निवेशकों के 24,400 करोड़ रुपये लौटाने को कहा. उसके बाद से अब तक ये केस चल रहा है.