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अटल संग बीजेपी बनाई, राम मंदिर के लिए गए जेल… देखें ‘भारत रत्न आडवाणी’ का सियासी सफर

नई दिल्ली: भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को 96 साल की उम्र में भारत रत्न मिलेगा. पीएम नरेंद्र मोदी ने आज सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी. बता दें कि आडवाणी, नानाजी देशमुख और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद भाजपा के ऐसे तीसरे नेता हैं, जिन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया […]

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अटल संग बीजेपी बनाई, राम मंदिर के लिए गए जेल… देखें ‘भारत रत्न आडवाणी’ का सियासी सफर
  • February 3, 2024 2:51 pm Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

नई दिल्ली: भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को 96 साल की उम्र में भारत रत्न मिलेगा. पीएम नरेंद्र मोदी ने आज सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी. बता दें कि आडवाणी, नानाजी देशमुख और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद भाजपा के ऐसे तीसरे नेता हैं, जिन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया जाएगा.

आइए जानते हैं कि भारत रत्न लालकृष्ण आडवाणी का सियासी सफर कैसा रहा है…

लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची शहर में हुआ था. वे 2002 से 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में देश के 7वें उपप्रधानमंत्री रहे. इससे पहले 1998 से 2004 के बीच राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार में आडवाणी गृहमंत्री रहे. वे भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल हैं. आडवाणी 1970 से 1972 तक भारतीय जनसंघ की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष रहे थे. इसके बाद 1973 से 1977 तक जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे.

किस-किस पद पर रहे आडवाणी

आडवाणी 1970 से 1989 तक चार बार राज्यसभा के सांसद रहे. इस बीच साल 1977 में वे जनता पार्टी के महासचिव भी रहे. फिर 1977 से 1979 तक आडवाणी केंद्र की मोरारजी देसाई सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री भी रहे. इसके साथ ही 1986-91 और 1993-98 और 2004-05 तक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. आडवाणी 1989 में दिल्ली से सांसद चुने गए थे. इस दौरान 1989 से 91 तक वे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे. इसके बाद साल 1991, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में वे गुजरात की गांधीनगर सीट से लोकसभा सांसद चुने गए.

मंदिर आंदोलन का बड़ा चेहरा बने

बता दें कि लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर आंदोलन के लिए 63 साल की उम्र में गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली थी. 25 सितंबर 1990 से शुरू हुई इस यात्रा की कमान मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभाली थी. ये आडवाणी की यात्रा का ही कमाल था कि 1984 में सिर्फ दो सीट जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी को 1991 में 120 सीटें मिली थी. इतना ही नहीं इस यात्रा ने आडवाणी को पूरे देश में एक हिन्दूवादी नेता के तौर पर पहचान दिलाई. इसके साथा ही भाजपा को मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और बिहार जैसे राज्यों में नई पहचान मिली. रथ यात्रा के दौरान बिहार से समस्तीपुर में आडवाणी की गिरफ्तारी भी हुई थी.

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