श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में आतंकियों के साथ एनकाउंटर में कैप्टन समेत 5 जवान शहीद हो गये. इसके बाद कोहराम मचा है, सवाल पूछे जा रहे हैं कि कैसे आतंकवादी एक के बाद एक हमलों को अंजाम दे रहे हैं और हम उन्हें माकूल जवाब नहीं दे पा रहे हैं. खास बात यह है कि हाल के दिनों में घाटी की तुलना में जम्मू क्षेत्र में आतंकी गतिविधियां बढ़ी है. इस बीच जम्मू में बड़ी आतंकी गतिविधियों के लिए वहां के पुलिस महानिदेशक आर आर स्वैन ने सूबे के राजनीतिक दलों को जिम्मेदार ठहराया है.
2005 और 2021 के बीच जम्मू में शांतिपूर्ण माहौल था वो अचानक कैसे बिगड़ा? 2021 के बाद जम्मू क्षेत्र में आतंकी घटनाओं में 52 सुरक्षाकर्मियों समेत 70 से अधिक लोग मारे गये हैं, जिनमें ज्यादातर सेना के जवान हैं. ज्यादातर मौतें राजौरी और पुंछ जिलों में हुईं.
सुरक्षाबलों ने आतंकियों को माकूल जवाब दिया और 54 आतंकवादियों का सफाया किया. अक्टूबर 2021 में पुंछ और राजौरी से सटे सीमावर्ती जिलों में आतंकी गतिविधियां अचानक बढ़ी थीं. अब रियासी इलाके में एक तीर्थयात्री बस पर आतंकियों ने हमला किया था, जिसमें 9 की मौत हो गई थी और 40 घायल हो गए थे. रियासी जिले में तीन और कठुआ जिले में दो आंतकवादी भी मारे गये.
पिछले 3 हफ्तों में डोडा जिले के जंगलों में सेना और आतंकवादियों के बीच तीसरी बड़ी मुठभेड़ चल रही है. कुछ दिन पहले कठुआ जिले के माचेडी क्षेत्र में सेना के एक गश्ती दल पर आतंकवादियों ने घात लगाकर हमला किया था. अब एक सप्ताह बाद एनकाउंटर में पांच सैनिकों की जान चली गई.
जम्मू क्षेत्र में हाल में आतंकवादी घटनाओं में जबरदस्त इजाफा हुआ है. खासकर पुंछ, राजौरी, डोडा और रियासी जैसे जिलों में आतंकियों के छिपे होने की सूचना है. बताया जा रहा है कि काफी संख्या में पाकिस्तान से आतंकवादी घुसपैठ करने में कामयाब हो गये हैं.
राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू कश्मीर के स्पेशल ऑपरेशन को 15 जुलाई को पुख्ता सूचना मिली और सेना तत्काल मौके पर पहुंच गई. डोडा से करीब 55 किमी दूर डेसा के जंगल में आतंकियों से देर शाम मुछभेड़ हो गई.
धारी गोटे उरारबागी के जंगलों में राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस सोमवार से सर्च ऑपरेशन चला रही थी। सर्चिंग के दौरान मुठभेड़ हुई जिसमें कैप्टन ब्रिजेश थापा, नायक डी राजेश, सिपाही बिजेंद्र, सिपाही अजय और जम्मू-कश्मीर पुलिस जवान शहीद हो गये. मुठभेड़ के बाद आतंकी पहाड़ी इलाकों में भाग गये. हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन कश्मीर टाइगर्स ने ली है जो जैश से जुड़ा है
इस बीच, जम्मू कश्मीर के डीजीपी आरआर स्वैन ने हाल में बढ़ी आतंकी घटनाओं के लिए राजनीतिक दलों को निशाने पर लिया है. खासतौर पर वहां के जो दो बड़े राजनीतिक दल हैं उनकी तरफ वो संकेत कर रहे हैं. स्वैन एक ओरिएंटेशन कार्यक्रम में आईआईएम जम्मू के छात्रों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने दो टूक कहा कि मरे हुए आतंकियों के घर जाकर उनके लिए संवेदना व्यक्त करना नेताओं का नया नार्मल बन गया है. पाकिस्तन ने हर सिविल सोसायटी में सफल घुसपैठ की है. इसके लिए स्थानीय दल जिम्मेदार हैं. डीजीपी ने जमीयत ए इस्लामी को भी खरी खोटी सुनाई.
उन्होंने दो टूक कहा कि जम्मू कश्मीर की क्षेत्रीय राजनीति के चलते पाकिस्तान को घुसपैठ करने का मौका मिलता है. यदि राजनेता आतंकवादियों के परिवार से मिलेंगे, संवेदना प्रकट करेंगे तो उनका मनोबल बढ़ेगा. दुर्भाग्य से यहां के राजनेता वही काम कर रहे हैं.
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