नई दिल्लीः दिल्ली कूच कर रहे किसानों के साथ बातचीत करने के लिए केंद्र सरकार ने दरवाजे खोल दिए हैं। अब सरकार किसानों की तरफ से बातचीत का प्रस्ताव आने का इंतजार कर रही है। सूत्रों के अनुसार, सरकार के वरिष्ठ मंत्री लगातार इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं। इससे पहले सोमवार को किसानों और सरकार के मंत्रियों के बीच सोमवार को चंडीगढ़ में वार्ता हुई थी। हालांकि, ये बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला। उस वक्त केंद्रीय मंत्री वहां बैठे रहे थे लेकिन किसान उठकर चले गए थे।
इससे पहले सरकार और किसान नेताओं के साथ सोमवार यानी 12 फरवरी की रात को हुई बैठक बेनतीजा रही। इस बैठक में सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा था कि ज्यादातर मुद्दों पर सहमति बन गई है लेकिन सरकार ने प्रस्ताव रखा है कि जो बचे हुए मुद्दे हैं उसको लेकर एक समिति का गठन किया जाए और इसके जरिए इन मामले को सुलझाया जाए।
बैठक में केंद्र ने 2020-21 के आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने को लेकर हामी भरी। हालांकि, किसान नेता फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाले कानून को बनाने की मांग पर डटे हुए हैं। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं है।
संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए कानून बनाने और कर्ज माफी सहित अपनी मांगों को लेकर भाजपा की नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली चलो मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं। मंगलवार यानी 13 फरवरी को पंजाब के किसानों ने हरियाणा-पंजाब के दो सीमा बिंदुओं पर उन्हें दिल्ली जाने से रोकने के लिए लगाए गए बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की जिसके बाद पुलिस ने उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े। साथ ही कुछ आंसू गैस के गोले ड्रोन से भी दागे गए।
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