नई दिल्ली: मालदीव के साथ चल रहे राजनयिक विवाद पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ी है, और उन्होंने कहा कि इस बात की जिम्मेदारी कोई नहीं ले सकता कि हर कोई हमेशा भारत का समर्थन करेगा. हाल ही में नागपुर में टाउन हॉल मीटिंग के दौरान मालदीव के साथ तनाव के […]
नई दिल्ली: मालदीव के साथ चल रहे राजनयिक विवाद पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ी है, और उन्होंने कहा कि इस बात की जिम्मेदारी कोई नहीं ले सकता कि हर कोई हमेशा भारत का समर्थन करेगा. हाल ही में नागपुर में टाउन हॉल मीटिंग के दौरान मालदीव के साथ तनाव के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा, “राजनीति तो राजनीति है” . साथ ही उन्होंने आगे कहा “हम देशों के साथ संबंध मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं” हम इसमें काफी हद तक सफल भी हुए हैं।’ पिछले 10 वर्षों में हमने कई देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए हैं.
बता दें कि जयशंकर ने राजनीतिक संबंधों में उतार-चढ़ाव के बावजूद लोगों के बीच सकारात्मक भावनाओं को बढ़ावा देने पर ध्यान देने के साथ वैश्विक स्तर पर मजबूत संबंध बनाने के लिए पिछले दशक में भारत के प्रयासों पर प्रकाश डाला है, और उन्होंने कहा कि जब राजनीति अस्थिर थी, भारतीयों में भारत के प्रति अच्छी भावना थी और वो अच्छे संबंध बनाने के महत्व को जानते थे. दरअसल उन्होंने अन्य देशों में बुनियादी ढांचे के विकास में भारत की भागीदारी का भी उल्लेख किया, और “कभी-कभी ये काम नहीं करता है” . साथ ही उन्होंने कहा कि फिर आपको चीजों को सही करने के लिए बहस करनी पड़ती है.
मालदीव के तीन नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और उनकी हाल ही में लक्षद्वीप यात्रा की आलोचना करने के बाद भारत और मालदीव के बीच राजनयिक विवाद पैदा हो गया है. दरअसल भारत ने टिप्पणियों की कड़ी निंदा की और मालदीव के राजदूत से विरोध जताया. साथ ही देश के प्रधानमंत्री के बारे में एक गलत टिप्पणी से भारतीय लोगों में गुस्सा भड़क गया, और लोगों ने बॉयकॉट द मालदीव नाम से एक अभियान शुरू किया. जिसमें बढ़ते विवाद के बीच मालदीव सरकार ने अपने तीन मंत्रियों को निलंबित कर दिया है.
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