नई दिल्ली, आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू ने राष्टपति चुनाव में जीत हासिल कर इतिहास रच लिया है. द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति है, जबकि भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं. दिन भर वोटों की गिनती की गई, जिसमें द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराकर जीत हासिल की. द्रौपदी मुर्मू […]
नई दिल्ली, आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू ने राष्टपति चुनाव में जीत हासिल कर इतिहास रच लिया है. द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति है, जबकि भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं. दिन भर वोटों की गिनती की गई, जिसमें द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराकर जीत हासिल की. द्रौपदी मुर्मू को 5,77,777 वोट मिले हैं और देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बन गई हैं.
द्रौपदी मुर्मू के राजनीतिक सफर की बात करें तो उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत ओडिशा में पार्षद बनने के साथ की थी. साल 1958 में 20 जून को जन्मी द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में भाजपा और बीजू जनता दल गठबंधन की सरकार के दौरान, 2000-2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार और 6 अगस्त, 2002 से मई तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री के पद पर रही थीं. इसके अलावा साल 2000 और 2004 में ओडिशा की पूर्व मंत्री और रायरंगपुर विधानसभा क्षेत्र से द्रौपदी विधायक भी रही हैं. द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला राज्यपाल भी बनी थीं.
पहली महिला राज्यपाल नियुक्त होने से पहले मुर्मू ओडिशा की पहली महिला और आदिवासी नेता भी रही हैं. बहरहाल निर्वाचित होने के बाद अब द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति और दूसरी महिला राष्ट्रपति बनेंगी. इसके अलावा द्रौपदी भारत के ओडिशा राज्य से देश की पहली राष्ट्रपति हैं. द्रौपदी मुर्मू के पास समृद्ध प्रशासनिक अनुभव है. उनका कार्यकाल काफी उत्कृष्ट रहा.
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून के दिन साल 1958 में ओडिशा के मयूरभंज जिले स्थित बैदापोसी गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है जो एक आदिवासी जातीय समूह संथाल परिवार से ताल्लुक रखते हैं.
शिक्षा की बात करें तो द्रौपदी मुर्मू ने अपनी प्राथमिक शिक्षा ओडिशा के छोटे से गांव उपरबेड़ा में स्थित एक छोटे से स्कूल में पूरी की. यहां उन्होंने अपनी कक्षा सातवीं तक की पढ़ाई पूरी की थी. बता दें, आज उनके इसी स्कूल के बच्चों ने भी जश्न मनाया और अपनी द्रोपदी दीदी को नारे लगाते हुए ढेर सारी शुभकामनाएं भी दिन. इसके बाद द्रौपदी मुर्मू ने अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए रायरंगपुर में श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में एक स्कूल शिक्षिका के रूप में काम किया और इसी दौरान उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा पूरी की। बाद में द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में भाजपा पार्टी जॉइन की.
द्रौपदी मुर्मू की स्कूली शिक्षा गाँव में ही हुई, साल 1969 से 1973 तक वह आदिवासी आवासीय विद्यालय में पढ़ीं, इसके बाद स्नातक करने के लिए उन्होंने भुवनेश्वर के रामा देवी वुमंस कॉलेज में दाखिला लिया. मुर्मू अपने गांव की पहली लड़की थीं, जो स्नातक की पढ़ाई करने के बाद भुवनेश्वर तक पहुंची थी इससे पहले उनके बाद गाँव में किसी लड़की ने ये मुकाम हासिल नहीं किया था. कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई, दोनों की मुलाकात बढ़ी, दोस्ती हुई, और दोस्ती प्यार में बदल गई. श्याम चरण भी उस वक्त भुवनेश्वर के एक कॉलेज से पढ़ाई कर रहे थे, कॉलेज के दिनों में ही दोनों को एक दूसरे से गहरी मोहब्बत हो गई थी.
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