नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े बिल को आज लोकसभा में पेश कर दिया. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इस बिल को पेश किया. अब इस बिल पर कल यानी बुधवार को चर्चा होगी. स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि चर्चा में अपनी बात रखने के लिए सबकों पर्याप्त मौका दिया जाएगा.
वहीं बिल पेश होने के बाद सदन में विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली. कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह बिल संविधान का उल्लंघन है. इससे उपराज्यपाल का अधिकार बढ़ेगा.
आज लोकसभा में पेश किया गया दिल्ली सेवा बिल 19 मई को जारी किए गए अध्यादेश से अलग है. इसमें तीन प्रमुख संशोधन हुआ है. सेक्शन 3 A को बिल से हटा दिया गया है. इसके साथ ही इसमें सेवाओं से संबंधित कानून बनाने का अधिकार दिल्ली विधानसभा को नहीं दिया गया है. इसके स्थान पर बिल में 239 AA पर ज्यादा जोर दिया गया है, जो केंद्र सरकार को नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी बनाने का अधिकार प्रदान करता है. अथॉरिटी द्वारा अपनी गतिविधियों की एनुअल रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा और संसद को देने के प्रावधान को भी हटा दिया गया है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के पक्ष में फैसला आने के बाद केंद्र सरकार यह अध्यादेश लेकर आई. इस अध्यादेश में दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े अधिकारों को स्पष्ट किया गया है. अध्यादेश के दोनों सदनों में पास होने का बाद दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग की असली ताकत उपराज्यपाल के पास ही रहेगी.
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