नई दिल्ली : तय हो चुका है दिल्ली में अब एमसीडी में भी केजरीवाल सरकार ही होगी. जहां आम आदमी पार्टी को कुल 134 सीटों पर बहुमत मिली है. वहीं बात करें भाजपा की तो पार्टी ने 104 सीटों पर जीत हासिल की है. पहली बार दिल्ली में आम आदमी पार्टी एमसीडी में नज़र आएगी. […]
नई दिल्ली : तय हो चुका है दिल्ली में अब एमसीडी में भी केजरीवाल सरकार ही होगी. जहां आम आदमी पार्टी को कुल 134 सीटों पर बहुमत मिली है. वहीं बात करें भाजपा की तो पार्टी ने 104 सीटों पर जीत हासिल की है. पहली बार दिल्ली में आम आदमी पार्टी एमसीडी में नज़र आएगी. जहां धमाकेदार जीत के बाद आप ने बीजेपी-कांग्रेस पर जमकर तंज कसा है. भले ही आम आदमी पार्टी ने दिल्ली एमसीडी में जीत हासिल कर ली है लेकिन पार्टी के वोट शेयर किसी और ही तरह इशारा कर रहे हैं.
देशभर की निगाहें राजधानी के एमसीडी चुनावों के परिणामों पर थी. यही कारण है कि दिल्ली स्टेट इलेक्शन कमिशन की आधिकारिक वेबसाइड नतीजों के दौरान कई बार क्रैश भी हुई. यदि हम चुनाव के वोटशेयर पर नज़र डालें तो आम आदमी पार्टी का वोटशेयर 42.05 प्रतिशत रहा. पिछली बार के मुकाबले इस बार आम आदमी पार्टी को 16 फीसद अधिक वोट मिले हैं. हैरानी की बात ये है कि भले ही दिल्ली एमसीडी में भाजपा हार गई हो लेकिन वोट शेयर के मामले में उसका रिकॉर्ड बिगड़ा नहीं है. इस साल बीजेपी का वोट शेयर 39.09 प्रतिशत रहा जो पिछले चुनावी साल के मुकाबले 3 प्रतिशत अधिक है. वहीं तीसरे नंबर की पार्टी कांग्रेस की बात करें तो दिल्ली एमसीडी में उनका वोट शेयर घटा है. जहां कांग्रेस का वोट शेयर 10 फीसद घटकर 11.68 प्रतिशत रहा.
इस बार कांग्रेस की ना सिर्फ सीटें कम हुई हैं बल्कि वोटशेयर में भी जबरदस्त गिरावट आई है. पिछली बार 31 सीटें जीतने वाली तीसरे नंबर की पार्टी कांग्रेस को इस साल केवल 9 सीटें ही मिल पाई हैं. बल्कि साल 2017 में तीनो एमसीडी को मिलाकर कांग्रेस का औसतन वोटशेयर 21 प्रतिशत था. यह भी दस प्रतिशत से घट गया है. लेकिन इस बात से साफ़ है की आम आदमी पार्टी ने यदि किसी का वोट शेयर छीना है तो वह भाजपा का नहीं है बल्कि कांग्रेस का है. वहीं भाजपा ने ना सिर्फ अपना वोट शेयर बचाया है बल्कि उसे बढ़ाया भी है.
पिछली बार आम आदमी पार्टी को 26 प्रतिशत वोट मिले थे. इस बार उसका वोटशेयर 42 प्रतिशत रह यानी पिछली बार के मुकाबले 16 प्रतिशत अधिक. वोटशेयर के आंकड़ों बताते हैं कि कांग्रेस से जो वोट छिटके हैं, उनमें ज्यादातर आम आदमी पार्टी को मिले. इसका सबसे ज़्यादा नुकसान कांग्रेस को हुआ है.
इस बीच भाजपा जीत नहीं पाई लेकिन उसके वोट शायरों को झुठलाया नहीं जा सकता है. पिछली बार तीनों एमसीडी को मिलाकर 181 सीट जीतने वाली भाजपा भले ही इस बार 104 सीटों में सिमट गई हो लेकिन 15 सालों के बाद सत्ता से बेदखल हुई है. इतना ही नहीं पिछली बार के मुकाबले इस बार पार्टी का वोट बैंक भी कुल 3 प्रतिशत से बढ़ा है. ऐसे में अभी भी भाजपा दिल्ली एमसीडी में मजबूत पार्टी है.
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