नई दिल्ली। कोराना वायरस के बाद अब देश में H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है। यह वायरल फ्लू अब जानलेवा हो चुका है। इस इन्फ्लुएंजा की वजह से शुक्रवार को देश में दो मरीजों की मौत हो गई। ऐसे में केंद्र सरकार सतर्क हो गई है। इसे लेकर शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की बैठक हुई। इसके बाद आज केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों को चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने इस वायरल फ्लू को लेकर जन-जागरूकता बढ़ाने का निर्देश दिया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस को लेकर राज्यों से कहा है कि इसके बचाव, लक्षण, इलाज की जानकारी लोगों को उपलब्ध कराए जाएं। इसके साथ ही कोविड-19 वाले प्रोटोकॉल भी फॉलो करें और जरूरी दवाओं का पर्याप्त स्टॉक भी सुनिश्चित रखें। उन्होंने राज्यों से केंद्र के साथ जानकारी साझा करते रहने की भी अपील की है।
इससे पहले, शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर बताया गया है कि मार्च के अंत तक इस मौसमी इन्फ्लुएंजा वायरस के मामलों में कमी आ सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय सीजनल इन्फ्लुएंजा के सबटाइप H3N2 के मामलों की सतर्कता के साथ निगरानी कर रहा है। बता दें कि, भारत में हर साल फ्लू के दो सीजन आते हैं। पहला जनवरी से मार्च और दूसरा मॉनसून खत्म होने के बाद, यही वो वक्त होता है जब भारत में वायरल इन्फ्लुएंजा के मामलों में तेजी देखी जाती है।
एम्स दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने लोगों को देश में फैल रहे H3N2 इन्फ्लूएंजा से सावधान रहने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि यह कोरोना वायरस के जैसा ही फैलता है। इससे बचने के लिए लोग मास्क पहनें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और बार-बार हाथ धोते रहें। उन्होंने कहा कि वे बुजुर्ग जो पहले से किसी बीमारी से परेशान हैं, उन्हें इस इन्फ्लूएंजा से ज्यादा परेशानी हो सकती है।
मेदांता अस्पताल के आंतरिक चिकित्सा विभाग के सीनियर डायरेक्टर सुशाली कटारिया ने बताया कि इन्फ्लुएंजा-ए वायरस के H3N2 स्ट्रेन से संक्रमित मरीजों को दो से तीन दिनों तक तेज बुखार रहता है। इसके साथ ही शरीर में दर्द, गले में जलन और लगातार दो हफ्ते तक खांसी होती है। वहीं, फ्लू की वजह से सीने में जकड़न और वायरल इंफेक्शन के मामले भी देखे जा रहे हैं।
इन्फ्लुएंजा से बचने के लिए फेस मास्क पहनें और भीड़भाड़ वाले जगहों पर जाने से बचें। इसके साथ ही नियमित रूप से पानी और साबुन से हाथ धोते रहें। नाक और मुंह को छूने से बचें। खांसते या छींकते समय नाक और मुंह को अच्छी तरह से कवर करें। खुद को हाइड्रेट रखें, पानी के साथ ही फ्रूट जूस या अन्य पेय पदार्थ को लेते रहें। बुखार आने पर पैरासिटामोल लें।
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