दंतेवाड़ा: बुधवार (25 अप्रैल) को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए नक्सलियों के हमले में 11 जवान शहीद हो गए. अरनपुर के पालनार क्षेत्र में नक्सलियों ने डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) फोर्स के जवानों से भरे वाहन को IED ब्लास्ट से उड़ा दिया. इसमें 10 DRG फाॅर्स के जवान सवार थे जिनके अलावा गाड़ी को चलाने […]
दंतेवाड़ा: बुधवार (25 अप्रैल) को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए नक्सलियों के हमले में 11 जवान शहीद हो गए. अरनपुर के पालनार क्षेत्र में नक्सलियों ने डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) फोर्स के जवानों से भरे वाहन को IED ब्लास्ट से उड़ा दिया. इसमें 10 DRG फाॅर्स के जवान सवार थे जिनके अलावा गाड़ी को चलाने वाला चालक भी शहीद हो गया. हमला इतना जोरदार था कि सड़क पर 5 फुट गहरा गड्डा बन गया और लैंडमाइन के धमाके से गाड़ी के परखच्चे उड़ गए.
अरनपुर इलाके में हुए इस हमले के पीछे नक्सलियों के बड़े लीडर्स का हाथ बताया जा रहा है. दरअसल DRG के जवानों को यहां पर नक्सलियों के बड़े लीडर्स के होने की सूचना मिली थी. दोपहर करीब 1 बजे जब जवान यहां से लौट रहे थे तो उनके निजी वाहन में नक्सलियों ने विस्फोट कर दिया. इस हमले के लिए नक्सलियों ने 50 किलो का IED प्लांट किया था.
सुरक्षा एजेंसी के अधिकारी के अनुसार नक्सली मार्च से जून के बीच टैक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन (TCOC)चलाते हैं. इसके पीछे अधिक से अधिक सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाना होता है. ख़बरों की मानें तो छत्तीसगढ़ के साउथ बस्तर में ही नक्सलियों ने टीसीओसी चलाने का प्लान नहीं बनाया है बल्कि उन्होंने अब काफी सालों बाद नए ट्राई जंक्शन के नजदीक सुरक्षा बलों पर हमला करने का TCOC प्लान तैयार किया गया है.
कहा जाता है कि टीसीओसी चौथा सबसे अधिक रक्तपात करने वाला महीना है. क्योंकि इस दौरान ना केवल बड़े नक्सली हमले करते हैं बल्कि बड़ी संख्या में नए नक्सलियों की भी भर्ती की जाती है. नए सदस्यों को घात लगाकर जवानों पर हमला करना सिखाया जाता है. साथ ही नए नक्सलियों को सुरक्षा बलों के हथियारों और गोला-बारूद लूटने की भी ट्रेनिंग दी जाती है. अब इस पूरे मामले की जांच की जा रही है.
जानकारी के अनुसार शहीद होने वाले जवान राज्य पुलिस के जिला रिजर्व गार्ड (DRG) विशेष बल के सदस्य थे. ज्यादातर स्थानीय आदिवासी डीआरजी में शामिल हैं, जिन्हें माओवादियों से निपटने के लिए ख़ास तौर पर प्रशिक्षित किया जाता है. जानकारी के मुताबिक़ नक्सलियों ने ये हमला कर संदेश दिया है कि नक्सलियों को आत्मसमर्पण कराने के लिए पिछले कई वर्षों में डीआरजी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसके अलावा अब छत्तीसगढ़ में कई पूर्व नक्सली नेता नक्सलियों के खिलाफ डीआरजी में काम कर रहे हैं. यही कारण है कि नक्सली DRG से ख़ास चिढ़े रहते हैं.
बड़ा माफिया बनना चाहते थे तीनों शूटर्स, पहले भी किए थे कई सारे मर्डर, जानिए अतीक को मारने वालों की