दिल्ली. कोरोना Corona आए दिन नए-नए रुप धरकर लोगों को डरा रहा है। ओमिक्रॉन Omicron वैरिएंट आ जाने के बाद दुनिया भर में कोरोना के प्रति खौफ बढ़ा है। साथ ही इसके खिलाफ युद्ध ने रफ्तार भी पकड़ी है। कोविड-19 को हराने की इस लड़ाई में भारत ने अपना दम दिखाया है। केन्द्र की मोदी […]
दिल्ली. कोरोना Corona आए दिन नए-नए रुप धरकर लोगों को डरा रहा है। ओमिक्रॉन Omicron वैरिएंट आ जाने के बाद दुनिया भर में कोरोना के प्रति खौफ बढ़ा है। साथ ही इसके खिलाफ युद्ध ने रफ्तार भी पकड़ी है। कोविड-19 को हराने की इस लड़ाई में भारत ने अपना दम दिखाया है। केन्द्र की मोदी सरकार ने मंगलवार को 2 वैक्सीन vaccine और एक पिल के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। केन्द्रीय औषधी मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा इन्हें स्वीकृत कर लिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने एक ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है।
Congratulations India 🇮🇳
Further strengthening the fight against COVID-19, CDSCO, @MoHFW_INDIA has given 3 approvals in a single day for:
– CORBEVAX vaccine
– COVOVAX vaccine
– Anti-viral drug MolnupiravirFor restricted use in emergency situation. (1/5)
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) December 28, 2021
भारत में बनी पहली स्वदेशी वैक्सीन है कॉर्बेवैक्स Corbevex जिसे हैदराबाद की एक फर्म बायोलॉजिकल-ई ने बनाया है। वहीं दूसरी दवा का नाम कोवोवैक्स Covovax है। यह वैक्सीन यूएस ड्रग निर्मता कंपनी नोवावैक्स का भारतीय स्वरुप है। बता दें कि हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने भी कोवोवैक्स के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी। कोविड-19 के लिए स्वीकृत हुई तीसरी दवा है एंटी-वायरल पिल मोलनुपिराविर Molnupiravir, इसका इस्तेमाल आपातकालीन स्थिति में गंभीर कोरोना मरीजों के लिए किया जाएगा। इसकी निर्माता कंपनी मर्क है।
गौरतलब है कि दोनों वैक्सीन और गोली को पहले ही कई देशों में मान्यता मिल चुकी है। फिलिपिंस में नोवावैक्स और सीरम इंस्टीच्यूट के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी मिली हुई है। वहीं अमेरिका में मोलनुपिराविर दवा को कोरोना संक्रमित रोगी को दिया जा सकता है। इसी तरह ब्रिटेन में भी नवंबर माह में इस गोली को सशर्त स्वीकृत कर लिया गया था। हालांकि इसका इस्तेमाल आइसोलेशन में रहने वाले उन संक्रमित रोगियों पर किया जा सकता है जिन्हैं कोरोना से संभावित खतरा ज्यादा है। मोलनुपिराविर का सेवन दिन में दो बार पांच दिन तक किया जाता है। रोगी को कुल 40 कैप्सूल लेने की आवश्यकता होती है।