बुलडोजर कार्रवाई: नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बुलडोजर एक्शन पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि हमें लोगों की सुरक्षा के बारे में सोचना होगा। इसके साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस […]
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बुलडोजर एक्शन पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि हमें लोगों की सुरक्षा के बारे में सोचना होगा। इसके साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस देते हुए तीन दिन में हलफनामा देने को कहा है। अब इस मामल में अगले हफ्ते कोर्ट में सुनवाई होगी।
बता दें कि इससे पहले जमीयत उलेमा ए हिंद ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर मांग की थी कि वो यूपी सरकार को बुलडोजर कार्रवाई रोकने का निर्देश दे। याचिका में कहा गया था कि ये कार्रवाई बिना उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए हो रही है। इसके साथ ही याचिका में बुलडोज़र एक्शन के लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग भी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट में जमीयत उलेमा ए हिंद की लीगल सेल के सचिव गुलज़ार अहमद आज़मी द्वारा दाखिल हुई याचिका में कहा गया कि पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के विरोध में कानपुर में 3 जून को मुस्लिम समुदाय के लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया था। इस दौरान उनकी हिंदू समुदाय के लोगों से झड़प हो गई थी। उसके बाद दोनों समुदाय के लोगों ने पथराव किया था। लेकिन कानपुर प्रशासन ने एकतरफा कार्रवाई की और एक वर्ग से जुड़े लोगों के मकानों पर बुलडोज़र चलाए।
जमीयत की याचिका में बताया गया कि बुलडोज़र कार्रवाई से पहले यूपी के मुख्यमंत्री, एडीजी और कानपुर के पुलिस कमिश्नर ने इसे लेकर बयान भी दिए थे। इससे साफ है कि ये जानबूझकर एक पक्ष को निशाना बनाने के लिए की गई है।
याचिका में कहा गया है कि बुलडोजर कार्रवाई उत्तर प्रदेश (रेग्युलेशन ऑफ बिल्डिंग ऑपरेशन्स) एक्ट, 1958 की धारा 10 और उत्तर प्रदेश अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट, 1973 की धारा 27 का उल्लंघन कर रही है। इन कानूनों में किसी निर्माण पर कार्रवाई से पहले उसके मालिक को 15 दिन का नोटिस देने के साथ संपत्ति के मालिक को कार्रवाई रुकवाने के लिए कम से कम 30 दिन अपील करने के लिए देने जैसे प्रावधान हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उसका पालन नहीं हो रहा है।
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