नई दिल्ली : बीजेपी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए पहली लिस्ट जारी कर दी है. मंगलवार को बीजेपी ने 189 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. सीएम बसवराज बोम्मई शिवगांव से चुनाव लड़ेंगे. इस सीट पर बसवराज बोम्मई पिछले 3 बार से चुनाव जीत रहे हैं. पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा के बेटे […]
नई दिल्ली : बीजेपी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए पहली लिस्ट जारी कर दी है. मंगलवार को बीजेपी ने 189 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. सीएम बसवराज बोम्मई शिवगांव से चुनाव लड़ेंगे. इस सीट पर बसवराज बोम्मई पिछले 3 बार से चुनाव जीत रहे हैं. पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा के बेटे को शिकारीपुर से टिकट दिया गया है.
The Central Election Committee of the BJP has decided the names of 189 candidates, in the first list, for the ensuing general elections to the legislative assembly of Karnataka. (1/2) pic.twitter.com/RhGFuhCWwS
— BJP (@BJP4India) April 11, 2023
शिवगांव निवार्चन क्षेत्र से सीएम बसवराज बोम्मई लगातार 3 बार से विधायक है और कर्नाटक के 23वें मुख्यमंत्री है. कर्नाटक में उनकी गिनती धुरधंर नेताओं में होती है. इस निर्वाचन क्षेत्र में 73 फीसदी हिंदू है वहीं 24 फीसदी मुस्लिम है और 0.8 फीसदी ईसाई हैं. इस सीट पर लिंगयात समुदाय का दबदबा है और सीएम खुद उसी समुदाय से आते है.
The Central Election Committee of the BJP has decided the names of 189 candidates, in the first list, for the ensuing general elections to the legislative assembly of Karnataka. (2/2) pic.twitter.com/tDaGEzcWuy
— BJP (@BJP4India) April 11, 2023
बीजेपी के वरिष्ठ नेता के एस ईश्वरप्पा ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी लिखकर कहा था कि हमको टिकट न दिया जाए. उनकी बात को ध्यान में रखते हुए उनको किसी भी सीट से उम्मीदवार नहीं बनाया गया. उन्होंने चिट्ठी में लिखा था कि हमको बीजेपी में बहुत कुछ मिला. बूथ अध्यक्ष से लेकर मैं उपमुख्यमंत्री तक रहा. उन्होंने जब अपनी बात केंद्रीय चुनाव समिति के सामने रखी थी तो की कई नेता उनकी बात मानने से इंकार रहे थे और कह रहे थे कि आप चुनाव लड़िए. लेकिन अंत में जेपी नड्डा ने उनकी बात का ख्याल करते हुए उनको किसी भी सीट से उम्मीदवार नहीं बनया है.
कर्नाटक विधानसभा का चुनाव एक चरण में होगा. 10 मई को 224 सीटों पर वोटिंग होगी और 13 मई को नतीजे घोषित किए जाएंगे. कर्नाटक में पिछले लगभग 30 साल का इतिहास रहा सत्ता में रहने वाली पार्टी दोबारा सत्ता में वापसी नहीं की है.