नई दिल्ली : भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह मुसीबतों में हैं. देश के कई नामी पहलवानों(रेसलर्स) ने उनके खिलाफ मोरचा खोल दिया है. उनपर विनेश फोगाट से लेकर गीता फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया जैसे कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवानों ने यौन उत्पीड़न संबंधित गंभीर आरोप लगाए हैं. […]
नई दिल्ली : भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह मुसीबतों में हैं. देश के कई नामी पहलवानों(रेसलर्स) ने उनके खिलाफ मोरचा खोल दिया है. उनपर विनेश फोगाट से लेकर गीता फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया जैसे कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवानों ने यौन उत्पीड़न संबंधित गंभीर आरोप लगाए हैं. दूसरी ओर उनके इस्तीफे की मांग की जा रही है जिसे लेकर पिछले तीन दिनों से दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन जारी है.
हरियाणा की खाप पंचायत अब पहलवानों को समर्थन देने उतर आई है. दूसरी ओर विपक्ष भी बार-बार मामले को लेकर भाजपा पर निशाना साध रही है. ऐसे में बृजभूषण सिंह ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि ना ही वह अपने पद से इस्तीफ़ा दे रहे हैं और ना ही पहलवान अपने प्रदर्शन से हटने का नाम ले रहे हैं.
यौन शोषण के आरोपों से घिरे भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पिछले तीन दिन से पहलवान जंतर-मंतर पर धरना दे रही है. वह खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के सामने अपना पक्ष भी रख चुके हैं लेकिन मामला कम होने का नाम नहीं ले रहा है. गुरुवार देर रात अनुराग ठाकुर के घर पहलवानों के साथ बातचीत की गई. ये दिखाता है कि मोदी सरकार की और से पहलवानों-बृजभूषण के मामले का हल निकालने का पूरा प्रयास किया जा रहा है. लेकिन अभी तक हल कोई नहीं निकल पा रहा है.
पहलवानों ने साफ तौर पर कहा है कि वे तब तक अपना प्रदर्शन वापस नहीं लेंगे जब तक बृजभूषण शरण सिंह अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफ़ा नहीं देते हैं. इसी बीच इस विवाद से हरियाणा से लेकर उत्तर प्रदेश तक की सियासत गर्मा गई है. आइए जानते हैं कहाँ पर सारा पेंच फंसा है. दरअसल भाजपा अगर अपने छह बार के सांसद बृजभूषण शरण सिंह को भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद से हटाती है तो उत्तरप्रदेश की सियासत बदल सकती है. एक विशेष वर्ग भाजपा से नाराज़ हो सकता है. दूसरी ओर बृजभूषण के इस्तीफा नहीं देने से पहले ही हरियाणा में सियासी समीकरण गड़बड़ा सकता है. खाप पंचायत और जाट समुदाय भी पहलवानों के साथ नज़र आ रहा है. ऐसे में भाजपा के लिए जातीय समीकरण बिगड़ने का भी खतरा बन गया है.
हरियाणा में जाट समुदाय की फोगाट खाप का समर्थन मिलने के अलावा यूपी में सर्वजातीय सर्वखाप पंचायत पहलवानों के साथ आ सकते है. बृजभूषण शरण सिंह को अध्यक्ष पद से नहीं हटाया गया तो यह संगठन दिल्ली कूच कर गया है. इसके अलावा हरियाणा की सभी खापें ही नहीं बल्कि दूसरें राज्यों की खापें भी पहलवानों की लड़ाई में उतर सकती है.
इसके अलावा पश्चिमी यूपी के जाट और किसान नेता भी पहलवानों को समर्थन देने दिल्ली पहुंचे थे. जाट आरक्षण संघर्ष कमेटी के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने भी कार्रवाई की मांग की है. दिल्ली और उसके आसपास के कई राज्यों की खाप पंचायतें एवं अन्य समुदाय भी अपना समर्थन जता सकते हैं. पहले हरियाणा के खेल मंत्री, अब कुश्ती महासंघ की करतूत सहन नहीं किया जा सकता है. हरियाणा की खापों से भी जंतर-मंतर पहुँचने का आह्वान किया गया है.ऐसे में भाजपा सरकार के लिए इस समय कुंआ और खाई की स्थिति है. वह पहलवानों का साथ दे ही रही है साथ ही उसे हरियाणा और यूपी में अपना वोटबैंक भी बचाना है.
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