नई दिल्ली/पटना: बिहार के जातिगत जनगणना मामले को फिर से सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा गया है. सर्वोच्च न्यायालय अब 6 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई करेगा. बता दें कि यह मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. इससे पहले कोर्ट ने सर्वे के आंकड़े को जारी करने पर रोक नहीं लगाई थी. कोर्ट ने कहा था कि विस्तृत सुनवाई के बाद ही रोक का आदेश दिया जा सकता है. जानकारी के मुताबिक आज यानी 3 अक्टूबर को इस मामले पर सुनवाई होनी थी लेकिन उससे पहले ही सोमवार को बिहार सरकार ने सर्वे के आंकड़े जारी कर दिए.
इससे पहले सोमवार को बिहार में राज्य सरकार ने जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए. रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की आबादी करीब 13 करोड़ है. जिसमें 81.99 फीसदी हिंदू और 17.7 फीसदी मुस्लिम आबादी है. इसके साथ ही ईसाई 0.5 और सिख 0.011 फीसदी हैं.
जातियों की बात करें तो अत्यंत पिछड़ा 36 फीसदी, पिछड़ा वर्ग 27 फीसदी, अनुसूचित जाति 19 फीसदी और अनुसूचित जनजाति 1.68 फीसदी हैं. बिहार सरकार के विकास आयुक्त विवेक सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आज ये आंकड़े पेश किए हैं. जाति आधारित जनगणना में राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 बताई गई है.
विकास आयुक्त विवेक सिंह ने बताया कि बिहार में सवर्णों की तादाद 15.52 फीसदी, भूमिहार 2.86 फीसदी, ब्राह्मण 3.66 फीसदी, कुर्मी 2.87 फीसदी, मुसहर 3 फीसदी हैं. इसके साथ ही यादवों की तादाद 14 फीसदी और राजपूतों की 3.45 फीसदी है.
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