बीबीसी डॉक्यूमेंट्री विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब, अप्रैल में अगली सुनवाई

नई दिल्ली। गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को बैन करने से रोकने की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनावाई हुई। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए तीन हफ्तों में जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई अब अप्रैल में होगी। दो याचिका दायर हुई थी बता […]

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बीबीसी डॉक्यूमेंट्री विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब, अप्रैल में अगली सुनवाई

Vaibhav Mishra

  • February 3, 2023 1:02 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को बैन करने से रोकने की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनावाई हुई। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए तीन हफ्तों में जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई अब अप्रैल में होगी।

दो याचिका दायर हुई थी

बता दें कि इस मामले में दो याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। एक याचिका पत्रकार एन राम, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और अधिवक्ता प्रशांत भूषण और वहीं दूसरी याचिका अधिवक्ता एम एल शर्मा ने दायर की थी।

सरकार ने बैन की डॉक्यूमेंट्री

साल 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को केंद्र की मोदी सरकार ने 21 जनवरी को यूट्यूब और ट्विटर से लिंक हटाने के आदेश दिए थे। सरकार द्वारा डॉक्यमेंट्री को प्रतिबंधित करने के बाद देश के कई शिक्षण संस्थानों में छात्र संगठनों ने डॉक्यूमेंट्री को बैन किए जाने पर हंगामा किया था, जिसके बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी।

किरेन रिजिजू ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री बैन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि, कई लोग इस तरह की याचिकाओं से माननीय सर्वोच्च न्यायालय का कीमती समय बर्बाद करते हैं। ऐसे याचिकाओं के कारण हजारों आम नागरिकों को न्याय के लिए तारीखों का इंतजार करना पड़ता है।

जानिए क्या है डॉक्यूमेंट्री विवाद?

गौरतलब है कि, बीबीसी ने साल 2002 में गुजरात में हुए दंगों को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री सीरीज बनाई है। इंडिया: द मोदी क्वेश्चन नाम की इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर देश भर में विवाद शुरू हो गया है। केंद्र सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री को दुर्भावनापूर्ण बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। बैन के बावजूद कई विपक्षी दल इस डॉक्यूमेंट्री की स्पेशल स्क्रीनिंग करवा रहे हैं। देश के विश्वविद्यालयों में भी बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री को प्रसारित करने की कोशिश की जा रही है। इसे लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी, हैदराबाद यूनिवर्सिटी और कोलकाता के एक विश्वविद्यालय में विवाद हो चुका है।

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