रामपुर. समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान भड़काऊ भाषण देने के मामले में दोषी करार किए हैं, वहीं इस मामले में रामपुर कोर्ट ने उन्हें तीन साल की सज़ा सुनाई है. अदालत ने रामपुर विधायक को आईपीसी की धारा 153-ए, 505-ए और 125 लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत दोषी करार दिया है और इसके तहत […]
रामपुर. समाजवादी पार्टी के विधायक आजम खान भड़काऊ भाषण देने के मामले में दोषी करार किए हैं, वहीं इस मामले में रामपुर कोर्ट ने उन्हें तीन साल की सज़ा सुनाई है. अदालत ने रामपुर विधायक को आईपीसी की धारा 153-ए, 505-ए और 125 लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत दोषी करार दिया है और इसके तहत ही उन्हें तीन साल की सजा भी सुनाई गई है.
बता दें, समाजवादी पार्टी के चेहरे और कद्दावर नेता आजम खान का पूरा का पूरा सियासी सफर विवादों से भरा पड़ा है. 90 के दशक में समाजवादी पार्टी के उदय के साथ ही सपा के मुस्लिम चेहरे के तौर पर उभरे आजम खान ने सांप्रदायिक बयानों को अपनी राजनीति का हिस्सा बना लिया, या यूं कहें कि आजम और उनके विवादित बोलों का साथ चोली दामन जैसा है, जिससे उन्होंने सुर्खियां भी बटोरीं और कन्ट्रोवर्सी को भी गले लगाया.
आजम खान का विवादों से रिश्ता नया नहीं है, 70 से 80 के दशक में जब फिल्मों में ‘रामपुरी चाकू’ का दौर था, उसी दौर में आजम खान की सियासत में एंट्री हुई थी, अक्सर अपने बयानों को लेकर विवादों में रहने वाले आजम के विवादित बोल और जिद के किस्सों से यूपी की सियासत भरी पड़ी है. दरअसल आजम की पूरी सियासी पहचान ही उनके विवादित फैसलों और बोल ने ही बनाई है.
90 के दशक में आजम खान ने ऐसे बयान दिए हैं जिन्होंने उन्हें विवादों का आजम बना दिया. इन्हीं बयानों ने आजम को खूब सुर्खियां दीं, वहीं इन्हीं बयानों के चलते एक खास जमात के साथ साथ समाजवादी पार्टी में उनकी पूछ और क़द भी बढ़ गई. ध्रुवीकरण की राजनीति के दौर में आजम को अपने समर्थकों के बीच मजबूत दिखने का यह सबसे आसान तरीका दिखा, इसे उन्होंने पार्टी के अंदर-बाहर दोनों ही जगह बखूबी इस्तेमाल किया, वहीं इसके दम पर वो खुद 10 बार विधायक बने. अपनी पत्नी तंजीम फातिमा को राज्यसभा सांसद और बेटे अब्दुल्ला आजम को विधायक बनवा दिया, जनाधार में महज रामपुर तक ही सीमित आजम सिर्फ विवादों के बल पर ही सपा का राष्ट्रीय चेहरा बन गए.
अलीगढ़ विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई करने वाले आजम खान आपात्काल के दौर में जेल भी गए हैं, पहली बार 1985 में जनता पार्टी सेक्युलर से विधायक बने. वहीं, मुलायम और अखिलेश सरकार में आजम खान चार बार कैबिनेट मंत्री रहे, इस बीच भी उनके विवादित बोल कभी नहीं थमे. फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा को 2009 में सपा से टिकट मिलने के खिलाफ आज़म खान ने बगावत भी कर दी थी. इस दौरान मुलायम भी उनके निशाने पर रहे. नतीजन उन्हें 24 मई 2009 को पार्टी से निकाल दिया गया, हालांकि, दिसबंर 2010 में उनकी वापसी हो गई. आजम का सियासी करियर और विवाद एक सिक्के के दो पहलू जैसे रहे हैं, साल 1989 में मुलायम सरकार में कैबिनेट मंत्री रहते हुए उन्होंने भारत माता को ‘डायन’ तक कह दिया था, जिसके बाद आजम की जुबां समय के साथ और तीखी-तर्रार होने लगी. साल 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे की पृष्ठभूमि जो घटना बनी, उनमें आरोपियों को छुड़ाने का आरोप लगा। 2014 के लोकसभा चुनाव में विवादित बोल के कारण चुनाव आयोग ने आजम के प्रचार पर प्रतिबंध लगा दिया था.
साल 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी जयाप्रदा के खिलाफ अभद्र टिप्पणियां पूरे देश में सुर्खिंया बनी, तब 4 मुकदमे हुए, चुनाव आयोग ने 72 घंटे के लिए बैन कर दिया, लेकिन आजम तो विवादों के आजम थे. न तो उनकी जबान रुकी और न ही लहजा बदला, ऐसे में अब इन्हीं भड़काऊ भाषण के चलते आजम को फिर एक बार जेल की हवा काटनी पड़ेगी.
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