मुंबई/नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस वक्त बड़ी सियासी मुश्किल का सामना कर रहे हैं. दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े केंद्र सरकार के अध्यादेश ने केजरीवाल सरकार को बड़ा झटका दिया है. अब सीएम केजरीवाल विपक्षी दलों से इस अध्यादेश के खिलाफ समर्थन मांग […]
मुंबई/नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस वक्त बड़ी सियासी मुश्किल का सामना कर रहे हैं. दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े केंद्र सरकार के अध्यादेश ने केजरीवाल सरकार को बड़ा झटका दिया है. अब सीएम केजरीवाल विपक्षी दलों से इस अध्यादेश के खिलाफ समर्थन मांग रहे हैं. सोमवार को दिल्ली में उन्होंने बिहार के सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की. इसके बाद मंगलवार को केजरीवाल कोलकाता पहुंचे, जहां उन्होंने पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी से मुलाकात की. वहीं आज यानी बुधवार को अरविंद केजरीवाल मुंबई में उद्धव ठाकरे से मिलेंगे.
सीएम केजरीवाल आज मातोश्री में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब) पार्टी के प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात करेंगे. इसके बाद केजरीवाल एनसीपी प्रमुख शरद पवार के आवास पर पहुंचकर उनसे मुलाकात करेंगे. महाराष्ट्र के इन दो दिग्गज नेताओं से मुलाकात के दौरान दिल्ली के सीएम अध्यादेश मामले में उनका समर्थन मांगेंगे.
इसके साथ ही आम आदमी पार्टी ने ऐलान किया है कि वह केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के प्रसिद्ध रामलीला मैदान में महा रैली करेगी. यह रैली 11 जून को होगी, जिसमें AAP के सभी प्रमुख नेताओं के साथ ही अन्य विपक्षी पार्टियों के बड़े नेता शामिल होंगे.
गौरतलब है कि, केंद्र सरकार ने शुक्रवार देर रात अध्यादेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसके तहत सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार अरविंद केजरीवाल सरकार को दिया था. अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी बनाई जाएगी. इसमें तीन सदस्य- मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और प्रमुख गृह सचिव होंगे. यह कमेटी बहुमत के आधार पर कोई भी फैसला लेगी. अगर कमेटी में फैसले को लेकर कोई विवाद पैदा होता है तो अंतिम फैसला उपराज्यपाल करेंगे. अब 6 महीने के अंदर संसद में इससे जुड़ा कानून भी बनाया जाएगा.
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