लखनऊ: ज्ञानवापी मामले को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान पर प्रदेश में सियासी हड़कंप मच गया है. उनके बयान के बाद तमाम नेताओं के बयान आने शुरू हो गए हैं. सीएम योगी के ज्ञानवापी वाले बयान को लेकर उनकी आलोचना शुरू हो गई है जिसमें ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय […]
लखनऊ: ज्ञानवापी मामले को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान पर प्रदेश में सियासी हड़कंप मच गया है. उनके बयान के बाद तमाम नेताओं के बयान आने शुरू हो गए हैं. सीएम योगी के ज्ञानवापी वाले बयान को लेकर उनकी आलोचना शुरू हो गई है जिसमें ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और AIMPLB की भी प्रतिक्रिया सामने आई है.
#WATCH | On UP CM Yogi Adityanath’s Gyanvapi statement, AIMIM MP Asaduddin Owaisi says "CM Yogi knows that the Muslim side has opposed ASI survey in Allahabad High Court and the judgement will be given in a few days, still he gave such a controversial statement, this is judicial… pic.twitter.com/IuBSqMHepv
— ANI (@ANI) July 31, 2023
ज्ञानवापी पर मुख्यमंत्री योगी के बयान को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने असंवैधानिक बताया है. एआईएमआईएम चीफ ने अपने ट्विटर पर एक वीडियो जारी किया है जिसमें वह विवादित बयान को लेकर सीएम योगी को घेरते नज़र आ रहे हैं. उन्होंने कहा की, सीएम योगी को इस मामले में कानून का पालन करना चाहिए वह मुस्लिम वर्ग पर दबाव डाल रहे हैं. मुस्लिम पक्ष ने इस मामले में हाईकोर्ट का रुख किया है जहां से एक से दो दिन में फैसला आने वाला है. आगे ओवैसी ने सीएम योगी पर साप्रांदायिकता फैलाने का आरोप लगाया है. उन्होंने आगे कहा कि यदि सीएम का बस चला तो वह बुलडोज़र चला देंगे.
दूसरी ओर बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने भी सीएम योगी के इस बयान को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, उनकी गरिमा को मुख्यमंत्री के बयान ने ठेस पहुंचाई है. उन्होंने सबको बराबर इंसाफ देने का वादा किया था लेकिन अब उनके बयान के बाद मुसलामानों का भरोसा टूटा है. उनके बयान से अदालतों में चल रहे मुक़दमे भी प्रभावित होंगे.
CM योगी के बयान के बाद AIMPLB के संस्थापक सदस्य मुहम्मद सुलेमान ने कहा, योगी आदित्यनाथ को कानून सम्मत बात करनी चाहिए सूबे के मुखिया उस कानून की रक्षा करनी चाहिए जो 1991 बना था. मुख्यमंत्री का ये बयान एक पुजारी की हैसियत से दिया गया है और एक पक्ष के लिए दिया गया है. ये दुर्भाग्य की बात है कि सीएम योगी ने एक धार्मिक आस्थाओं की बुनियाद पर बयान दिया है. वह आगे सवाल करते हैं कि क्या वर्ग इच्छाओं और धार्मिक आस्थाओं से देश चलेगा?