31 साल बाद ज्ञानवापी तहखाने में होगी पूजा, वाराणसी के डीएम 7 दिन में नियुक्त करेंगे पुजारी

वाराणसी: ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाने में 31 साल के बाद पूजा होगी. बुधवार को वाराणसी जिला कोर्ट ने तहखाने में व्यास परिवार को पूजा करने इजाजत दे दी. बता दें कि साल 1993 से तहखाने में पूजा-पाठ बंद था. अदालत ने कहा कि वाराणसी के डीएम 7 दिनों के अंदर पुजारी की नियुक्त करेंगे, […]

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31 साल बाद ज्ञानवापी तहखाने में होगी पूजा, वाराणसी के डीएम 7 दिन में नियुक्त करेंगे पुजारी

Vaibhav Mishra

  • January 31, 2024 6:37 pm Asia/KolkataIST, Updated 10 months ago

वाराणसी: ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाने में 31 साल के बाद पूजा होगी. बुधवार को वाराणसी जिला कोर्ट ने तहखाने में व्यास परिवार को पूजा करने इजाजत दे दी. बता दें कि साल 1993 से तहखाने में पूजा-पाठ बंद था. अदालत ने कहा कि वाराणसी के डीएम 7 दिनों के अंदर पुजारी की नियुक्त करेंगे, इसके बाद व्यास परिवार पूजा-पाठ शुरू कर सकता है.

DM को दिया था तहखाने का जिम्मा

बता दें कि इससे पहले वाराणसी कोर्ट ने 17 जनवरी को जिले के डीएम को व्यास जी के तहखाने का जिम्मा सौंप दिया था. इसके बाद डीएम ने मुस्लिम पक्ष से तहखाने की चाबी ले ली थी. फिर 7 दिन बाद यानी 24 जनवरी को डीएम की मौजूदगी में व्यास तहखाने के ताले को खोला गया. वहीं, जिला अदालत के फैसले पर मुस्लिम पक्ष के वकील मेराजुद्दीन ने कहा है कि वे इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे. यह फैसला बिल्कुल न्यायसंगत नहीं है.

शैलेंद्र व्यास ने दायर की थी याचिका

शैलेंद्र व्यास ने 25 सितंबर 2023 को वाराणसी कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने व्यास जी तहखाने में पूजा-पाठ करने का अधिकार मांगा था. इसके करीब 4 महीने बाद आज वाराणसी कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. मालूम हो कि ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाने में साल 1993 से पहले सोमनाथ व्यास पूजा पाठ करते थे. 2020 में सोमनाथ व्यास का निधन हो गया. इसके बाद उनकी बेटी उषा रानी के बेटे शैलेंद्र व्यास ने अदालत में याचिका दाखिल करके पूजा करने अधिकार मांगा.

कल को पूरी कर ली गई थी बहस

गौरतलब है कि जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने मंगलवार को इस केस में बहस पूरी कर ली थी. इस दौरान अंजुमन इंतजामिया के वकील मुमताज अहमद और एखलाक अहमद ने कहा था कि व्यासजी का तहखाना मस्जिद का हिस्सा है और यह वक्फ बोर्ड की संपत्ति है. इसलिए यहां पर पूजा-पाठ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

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