नई दिल्ली: दिल्ली के मेयर पद पर बहुमत पाने के बाद अब आम आदमी पार्टी ने डिप्टी मेयर पद भी अपने नाम कर लिया है. आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी आले मोहम्मद खान ने दिल्ली के डिप्टी मेयर पद पर जीत हासिल की है. बता दें, आप की मेयर उम्मीदवार शैली ओबेरॉय पहले ही दिल्ली […]
नई दिल्ली: दिल्ली के मेयर पद पर बहुमत पाने के बाद अब आम आदमी पार्टी ने डिप्टी मेयर पद भी अपने नाम कर लिया है. आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी आले मोहम्मद खान ने दिल्ली के डिप्टी मेयर पद पर जीत हासिल की है. बता दें, आप की मेयर उम्मीदवार शैली ओबेरॉय पहले ही दिल्ली मेयर पद अपने नाम कर चुकी हैं. उन्होंने 150 मत पाकर कुल 34 मतों से भाजपा की प्रत्याशी रेखा गुप्ता को मात दी थी. फिलहाल सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गई है.
Aam Aadmi Party wins Deputy Mayor election, Aaley Mohammad Iqbal of AAP gets 147 votes. BJP's Kamal Bagri gets 116 votes.#DelhiMayorElection pic.twitter.com/GMXUVLupPB
— ANI (@ANI) February 22, 2023
काफी समय से दिल्ली निगम सदन में चल रही तनातनी के बीच शैली ओबेरॉय अब दिल्ली की नई मेयर बन गई हैं. ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि आखिर कौन है शैली ओबेरॉय। पश्चिमी दिल्ली के पूर्वी पटेल नगर वार्ड की निर्वाचित पार्षद 39 वर्षीय शैली ओबेरॉय दिल्ली यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर रह चुकी हैं. वह भारतीय वाणिज्य संघ की आजीवन सदस्य भी रह चुकी हैं. स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (SoMS), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) से उन्होंने दर्शनशास्त्र में डॉक्टरेट की पढ़ाई भी की है.
इस तरह दिल्ली नगर निगम चुनावों की ही तरह मेयर पद के चुनावों में भी आम आदमी पार्टी ने भाजपा को चित कर दिया है. गौरतलब है कि वोटिंग के दौरान दिल्ली के सासंदों ने भी वोट डाला है जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद मीनाक्षी लेखी और हंस राज हंस सबसे पहले मतदान करने वालों में शुमार हैं. इसके अलावा भाजपा सांसदों प्रवेश साहिब सिंह वर्मा, हर्षवर्धन, गौतम गंभीर, रमेश बिधूड़ी और मनोज तिवारी तथा आम आदमी पार्टी (आप) के सांसदों संजय सिंह, एन डी गुप्ता और सुशील कुमार गुप्ता ने भी मेयर चुनावों में वोटिंग की है.
बता दें, बुधवार (22 फरवरी) को चौथी बार दिल्ली मेयर चुनाव करवाया गया था. इसी तरह पहले भी तीन बार एमसीडी (सदन) में वोटिंग करवाने की कोशिश की जा चुकी है लेकिन आप और भाजपा के पार्षदों के बीच हुई तनातनी की वजह से चुनाव टलता रहा.
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