Delhi MCD: नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में आज नगर निगम चुनाव के लिए वोट डाले जा रहे हैं। दिल्ली के 1.45 करोड़ वोटर 250 पार्षदों को चुनने के लिए अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस चुनाव में बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के साथ-साथ कुल 1,349 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा […]
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में आज नगर निगम चुनाव के लिए वोट डाले जा रहे हैं। दिल्ली के 1.45 करोड़ वोटर 250 पार्षदों को चुनने के लिए अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस चुनाव में बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के साथ-साथ कुल 1,349 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
साल 2017 में हुए दिल्ली नगर निगम के चुनाव में बीजेपी ने भारी बहुमत से जीत हासिल की थी। उस दौरान एमसीडी तीन भागों में बंटी हुई थी, जिसमें बीजेपी ने 181, आप ने 48 और कांग्रेस ने 27 वार्डों पर जीत दर्ज की थी। बता दें कि साल 2007 से एमसीडी पर बीजेपी का कब्जा है।
गौरतलब है कि साल 2012 में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल के दौरान एमसीडी को तीन भागों उत्तर, दक्षिण और पूर्वी नगर निगमों में बांट दिया गया था। हालांकि इस बार फिर से दिल्ली में परिसीमन कर नगर निगमों को एकीकृत कर दिया गया है। जब नगर निगम तीन भागों में बंटा था, तब कुल सीटों की संख्या 272 हुआ करती थी, लेकिन अब इसे घटाकर 250 कर दिया गया है।
दिल्ली की सत्ता में तीन पावर सेंटर्स हैं-दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और एमसीडी। केंद्र सरकार की शक्तियां तो उसके पास ही रहेंगी। अब अगर मान लीजिए दिल्ली में और केंद्र में विरोधी दलों की सरकारें हैं तो केंद्रीय प्रशासन चाहेगा कि एमसीडी उसके पास रहे और वह दिल्ली को अपने हिसाब चला सके। वहीं, दिल्ली की सरकार चाहती है कि एमसीडी भी उसके कब्जे में आ जाए तो वह ज़्यादा आजादी से और अपने हिसाब से विकास कर सकेगी और हर मुद्दों पर अपना कि पक्ष रखेगी। बता दें कि 15 हजार करोड़ से ज्यादा के बजट वाली एमसीडी दिल्ली के उन वर्गों के लिए काम करती है जहां दिल्ली सरकार या केंद्र सरकार इतनी आसानी से काम नहीं कर सकती है।
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