नई दिल्ली। कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा ने आज 100 दिन पूरे कर लिए हैं। इस यात्रा को कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के भविष्य के काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अब सवाल ये उठता है कि इन 100 दिनों में जमीन पर राहुल गांधी को लेकर क्या कोई परसेप्शन बदला है, क्या अपने […]
नई दिल्ली। कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा ने आज 100 दिन पूरे कर लिए हैं। इस यात्रा को कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के भविष्य के काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अब सवाल ये उठता है कि इन 100 दिनों में जमीन पर राहुल गांधी को लेकर क्या कोई परसेप्शन बदला है, क्या अपने राजनीतिक इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस पार्टी को इससे मजबूती मिली है? आइए जानते हैं….
कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी 7 सिंतबर को जब तमिलनाडु के कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा पर निकले तो लोगों के मन में कई तरह की आशंकाएं थी। हिंदुस्तान के उत्तर और दक्षिण सिरे को जोड़ने वाली 3570 किलोमीटर की दूरी, मौसम का उतार-चढ़ाव, SUVs के आदी, पैदल चलना भूल चुके कांग्रेस के नेता क्या ये सब कर पाएंगे?
कन्याकुमारी से कश्मीर तक हिंदुस्तान का जन गण मन टटोलने निकले कांग्रेस के राजकुमार ‘राहुल गांधी’ की भारत जोड़ो यात्रा आज 16 दिसंबर को 100 दिन पूरे कर चुकी है। इस 100 दिन की कमाई को देखें तो कांग्रेस कैडर में अभूतपूर्व उत्साह देखने को मिल रहा है। राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं के अनुसार इस यात्रा में राहुल गांधी के नाम आंकड़ों का एक ऐसा रिकॉर्ड है, जिसनें राहुल गांधी को 2024 के आम चुनाव के लिए ठोस आधार दे दिया है।
भारत जोड़ो यात्रा ने अब तक 100 दिनों में 8 राज्य (तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान), 42 जिले और 2800 किलोमीटर का सफर तय कर चुकी है। इस पदयात्रा का ये आंकड़ा किसी आसान सफर की कहानी नहीं है। 7 सितंबर को जब राहुल गांधी ने कन्याकुमारी की चिलचिलाती गर्मी से अपना सफर शुरू कर रहे थे तब से लेकर आज तक हिंदुस्तान का चुनावी और मौसमी माहौल काफी बदल गया है। इन 100 दिनों में राहुल ने न सिर्फ मौसम के अनुकूल खुद को ढाला और अपनी चुस्ती-फुर्ती कायम रखी, बल्कि सियासी हवा को भी थोड़ा बहुत कांग्रेस के अनुकूल बदला।
राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही भारत जोड़ो यात्रा ने कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं को ऊर्जा दे दिया है। इस ऊर्जा की दरकार कांग्रेस को शायद साल 2014 के बाद से ही थी। हालांकि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली जीत कांग्रेस के लिए राहत की फुहार लेकर आई है, लेकिन गुजरात विधानसभा और दिल्ली एमसीडी की हार अभी भी सवाल बन कर खड़ी है। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस राहुल के पैन इंडिया जुड़ाव को महसूस करना चाहती थी। चुनावों में पार्टी को तो ये कामयाबी नहीं मिली, लेकिन राहुल से जनता से कनेक्ट होने में जरूर सफल दिख रहे हैं।
नेहरू-गांधी परिवार के चिराग राहुल गांधी को राजनीति में कदम रखे करीब दो दशक हो रहे हैं। माना जाता है कि भारत जोड़ो यात्रा से पहले उनकी छवि एक गंभीर नेता के तौर पर नहीं थी। विपक्षी पार्टियां उन्हें जमीनी नेता के बजाय उन्हें सिर्फ हवा हवाई नेता बता रही थी। हालांकि, राहुल गांधी का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने करोड़ो रूपए खर्च करके उनकी छवि को खराब किया है। देखा जाए तो राहुल गांधी बीते 100 दिनों की यात्रा में उस मुकाम को हासिल करने में कामयाब हो रहे हैं, जिसके लिए वो बीते 18 सालों से संघर्ष करते हुए नजर आ रहे थे। इससे पहले बीच बीच में उनमें स्पार्क जरूर नजर आया हो, लेकिन ये पहली बार है कि जब राहुल गांधी की राजनीतिक मैदान में गंभीर खिलाड़ी के तौर पर देखा जा रहा है।
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