जावेद की मां ने सात दिन से खाना नहीं खाया है. हर पल उनकी आंखें घर के दरवाजे पर टिकी रहती है कि कहीं से उनका बेटा लौटकर आ जाए. लोग आते जाते हैं दिलासा देते हैं मगर मां का दिल है जो हर पल अपने बेटे के लिए बेचैन रहता है
श्रीनगर: जन्नत-ए-कश्मीर जहां की फिजा कभी अपनी खूबसूरती और हसीन वादियों के लिए जानी जाती थी लेकिन अब आलम ये है कि कश्मीर का नाम आते है याद आता है आतकंवाद, दहशतगर्दी और कत्लेआम. कश्मीर के कुछ इलाके ऐसे हैं जो आतंकवाद के लिए बदनाम हैं उनमें से एक है त्राल और बारामुला. बारामुला की बात करें तो इस इलाके में आए दिन आतंकी हमले होते रहते हैं.सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ होना यहां हर दिन की बात है.ये इलाका कितना खतरनाक है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि बंदूक से निकली कौन सी गोली यहां किसकी मौत का सबब बन जाए ये कोई नहीं जानता.
किस घर से कौन सा युवक भटककर आतंकवादियों के साथ मिल गया है और क्या है उस परिवार का दर्द और उनका अपने उन भटके हुए बच्चों के लिए संदेश यही जानने इंडिया न्यूज़ बारामुला के उन परिवारों से मिलने पहुंचा. हमारा मकसद उन परिवारों के दर्द को जनता के सामने लाना था जिनके अपने आतंक की राह पर चल पड़े हैं. बारामूला में एक दो नहीं बल्कि ऐसे कई परिवार हैं जिनके घरों के बच्चों ने दहशतगर्दों के हाथों गुमराह होकर आतंक का दामन थाम लिया.
ऐसा ही एक भटका हुआ नौजवान है जावेद अहम गोजरी. 22 साल का वो नौजवान लड़का जो 24 नवंबर 2017 को रहस्यमय तरीके से गायब हो गया. वो कहां गया, किसके साथ गया ये कोई नहीं जानता लेकिन हर किसी को ये यकीन है कि वो आतंक के अंधेरे में गुम हो गया है. हमें पता चला था कि जावेद आतंकी संगठन हिजुबल मुजाहिद्दीन में शामिल हो गया है.