देश में सहिष्णुता और कट्टरता को लेकर बहस तेज हो गई है. एक ओर देश में माहौल खराब करने को लेकर मोदी सरकार पर आरोप लगाने वालों ने गोलबंदी तेज कर दी है तो दूसरी ओर कई लोग अब भी सरकार के समर्थन में खड़े हैं. इसी मुद्दे को लेकर राजनीतिक पार्टियां और लेखक-साहित्यकार तरह-तरह के तर्क दे रहे हैं.