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क्या बीफ के विवाद में देश को बांट देंगे अपने नेता?

दादरी की घटना के बाद से श्रद्धा के बरक्स खाने की आज़ादी की बहस पूरे भारत में तेज हो गयी है. एक ओर भारतीय कट्टरपंथी हिंदू संगठन है जिनका कहना है कि गाय को हिंदू धर्म में माता कहा गया है इसी के चलते बीफ को पूरी तरफ बैन कर देना चाहिए. दूसरी तरफ वे लोग हैं जिनका कहना है कि इस तरह एक धर्म की आस्था को ध्यान में रखकर फैसले किए जाएंगे तो देश के सेक्युलर ढांचे को नुकसान पहुंच सकता है.

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  • October 8, 2015 4:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. दादरी की घटना के बाद से श्रद्धा के बरक्स खाने की आज़ादी की बहस पूरे भारत में तेज हो गयी है. एक ओर भारतीय कट्टरपंथी हिंदू संगठन है जिनका कहना है कि गाय को हिंदू धर्म में माता कहा गया है इसी के चलते बीफ को पूरी तरफ बैन कर देना चाहिए. दूसरी तरफ वे लोग हैं जिनका कहना है कि इस तरह एक धर्म की आस्था को ध्यान में रखकर फैसले किए जाएंगे तो देश के सेक्युलर ढांचे को नुकसान पहुंच सकता है. 
 
सबसे पहली बात जो साफ़ हो जानी चाहिए वह यह है कि बीफ का अर्थ केवल गाय का मांस नहीं है. भारत में वैसे भी कुछेक राज्यों को छोड़ दिया जाए तो पूरे भारत में गोवध एक अरसे से प्रतिबंधित है और इसके लिए कानूनन सजा का भी प्रावधान है. बीफ शब्द का इस्तेमाल जिस सन्दर्भ में भारत के अधिकतर रीजन में किया जाता है वह भैंस या भैंसे का मांस है. भारत बीफ निर्यात में भी विश्व में दूसरे नंबर पर है लेकिन यहां भी बीफ का मतलब सिर्फ भैंस के मांस से ही है. हुआ दरअसल यह है कि अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए दोनों ही तरफ के चरमपंथी नेता भ्रम की स्थिति बनाए हुए हैं. इंडिया न्यूज़ के विशेष शो बड़ी बहस में आज बीफ पर फैले इसी बवाल की सच्चाई तक पहुंचने की कोशिश की गयी है. देखें वीडियो

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