गोरखपुर में लापरवाही-कमीशनखोरी से गई बच्चों की जान !

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कई बड़े देवता यानी बड़े-बड़े डॉक्टर अब मासूमों की मौत के मामले में कठघरे में हैं. इंडिया न्यूज़ की पड़ताल में लगातार ऐसे खुलासे हो रहे हैं, जिनसे साफ है कि पूर्वांचल में दिमागी बुखार से लड़ने वाले सबसे बड़े अस्पताल में अंधेरगर्दी फैली हुई है.

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गोरखपुर में लापरवाही-कमीशनखोरी से गई बच्चों की जान !

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  • August 18, 2017 5:11 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली : गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कई बड़े देवता यानी बड़े-बड़े डॉक्टर अब मासूमों की मौत के मामले में कठघरे में हैं. इंडिया न्यूज़ की पड़ताल में लगातार ऐसे खुलासे हो रहे हैं, जिनसे साफ है कि पूर्वांचल में दिमागी बुखार से लड़ने वाले सबसे बड़े अस्पताल में अंधेरगर्दी फैली हुई है. 
 
अब इन मासूमों के कत्ल का हिसाब लेना शुरू हुआ है. गोरखपुर मेडिकल कॉलेज को श्मशान में बदलने वालों को अब अपने गुनाहों की पाई पाई का हिसाब चुकाना है. गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत की जांच के लिए बनी कमेटी ने चार लोगों को शुक्रवार को पूछताछ के लिए तलब किया था.
 
गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के तात्कालीन प्रिंसिपल डॉक्टर राजीव मिश्रा, ऑक्सीजन सप्लाई यूनिट के हेड डॉक्टर सतीश कुमार और इंसेफ्लाइटिस वॉर्ड के नोडल अधिकारी डॉक्टर कफील खान के साथ पूर्णिमा शुक्ला से पूछताछ की गई. 
 
एक तरफ इन चारों से पूछताछ हो रही थीं वहीं दूसरी तरफ शुक्रवार को ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यूपी सरकार से पूरे मामले में जवाब मांग लिया गया. जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति डीबी भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने यूपी सरकार से पूछा है कि बच्चों की मौत किस कारण हुई. इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा है कि इंसेफ्लाइटिस से निपटने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं. 
 
हाई कोर्ट द्वारा जवाब मांगे जाने के बाद इस पूरे मामले में यूपी सरकार पर दबाव और बढ़ गया है. मेडिकल कॉलेज के तात्कालीन प्रिंसिपल डॉक्टर राजीव मिश्रा पर सबसे गंभीर आरोप हैं. पूरे मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था के प्रशासनिक प्रमुख थे राजीव मिश्रा. ऑक्सीजन कंपनी को पेमेंट नहीं होने की सीधे सीधे जिम्मेदारी इनकी ही बनती है. इसलिए ही जांच शुरू होने से पहले इन्हें सस्पेंड कर दिया गया.
 
ऑक्सीजन सप्लाई यूनिट के हेड के तौर पर सतीश कुमार भी सीधे जिम्मेदार थे लेकिन एनिसथिसिया के डॉक्टर सतीश कुमार अपनी जिम्मेदारियों को लेकर भी पूरी तरह बेहोश थे. तीसरा नाम डॉक्टर कफील खान का है और ऑक्सीजन विभाग के नोडल ऑफिसर के तौर पर इनकी भी सीधे जिम्मेदारी बनती है. डॉक्टर कफील पर इसके अलावा आरोपों की लंबी फेहरिस्त है. इन पर अपने प्राइवेट अस्पताल में मेडिकल कॉलेज के साजोसामान को पहुंचाने का भी आरोप है. 
 
जांच के लिए बुलाई गई चौथी शख्स डॉक्टर पूर्णिमा शुक्ला हैं जो डॉक्टर राजीव मिश्रा की पत्नी हैं. मेडिकल कॉलेज में चल रही धांधली के आरोपों में पूर्णिमा शुक्ला की अहम भूमिका है. आरोप इन पर इतने हैं जितना लंबा इनका करियर नहीं है. 

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