नई दिल्ली : गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के मामले में अधिकारियों की बेहद खतरनाक लापरवाहियों के सबूत सामने आए हैं. गोरखपुर के डीएम राजीव रौतेला की जांच रिपोर्ट कई चौंकाने वाली बातों का खुलासा करती है. ये रिपोर्ट कहती है कि 10 अगस्त को जब मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन का संकट था उस दिन प्रिंसिपल डॉ राजीव मिश्र सुबह ही शहर से बाहर चले गए थे.
एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट के एचओडी डॉक्टर सतीश कुमार बिना परमिशन के ही 11 अगस्त को मुंबई चले गए. डॉ राजीव मिश्र और डॉ सतीश कुमार की गैर-मौजूदगी में जिम्मेदारी सीएमओ डॉ रमा शंकर शुक्ल कार्यवाहक प्रिंसिपल डॉ राम कुमार और नोडल अधिकारी डॉ कफील खान के साथ बाल-रोग विभाग की प्रमुख डॉ महिमा मित्तल की थी, लेकिन ये चारों डॉक्टर एक साथ टीम के तौर पर काम नहीं कर रहे थे.
डीएम की रिपोर्ट कहती है कि ऑक्सीजन सिलेंडर की लॉग बुक 10 अगस्त से बनाई जानी शुरु हुई. स्टॉक बुक भी एक जुलाई से पहले का नहीं है और स्टॉक बुक में ओवर राइटिंग भी की गई है. साफ है कि डीएम की ये रिपोर्ट कई संगीन सवाल खड़े करती है.
इस मामले की जांच के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य सचिव डॉ राजीव कुमार की अगुवाई में चार लोगों की कमेटी बनाई है. इस कमेटी में बाकी तीन सदस्य स्वास्थ्य सचिव, आलोक कुमार, वित्त सचिव, मुकेश मित्तल और SGPGI के चिकित्सा अधीक्षक डॉ हेमचंद्र हैं. इस कमेटी को हफ्ते भर के अंदर अपनी जांच रिपोर्ट सौंपनी है और इस कमेटी ने रविवार से ही अपना काम शुरू कर दिया है.
जांच कमेटी को ये बताना है कि जिन दिनों बच्चों की मौत हुई उस समय क्या-क्या घटनाएं हुईं? बच्चों की मौत के कारण क्या रहे? इन कारणों के जिम्मेदार अधिकारी और लोग कौन-कौन हैं? उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होनी चाहिए? और ऐसी घटनाएं ना हों इसके लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक कौन से उपाय किए जाने चाहिए?
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