नई दिल्ली: कजाकस्तान की राजधानी अस्ताना में आज पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई. पीएम मोदी ने भारत को शंघाई सहयोग संगठन का सदस्य बनाए जाने पर चीन को शुक्रिया कहा है.
हालांकि, पीएम मोदी ये कहना नहीं भूले की दोनों देशों को एक दूसरे की बुनियादी चिंताओं का सम्मान करना चाहिए. दरअसल, ये बात किसी से छिपी नहीं कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को लेकर भारत नाराज़ है. वहीं, भारत की नाराज़गी इस बात को लेकर भी है कि चीन ने एनएसजी यानी न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप का सदस्य बनाए जाने की राह में टांग अड़ा रखी है.
मोदी और जिनपिंग की ये मुलाकात पिछले महीने बीजिंग में बेल्ट एंड रोड फोरम की बैठक के बाद हुई है. भारत ने इस बैठक का बहिष्कार किया था जिसमें दुनिया के 29 देशों के नेता शामिल हुए थे. दरअसल, भारत चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का विरोध कर रहा है क्योंकि ये पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के गिलगित बाल्टिस्तान से होकर गुजरता है. 50 बिलियन डॉलर वाला ये प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का एक हिस्सा है.
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से भारत नाराज़ है. वैसे अस्ताना में पीएम मोदी और नवाज शरीफ भी आमने-सामने आए लेकिन कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई. सूत्रों की मानें तो दोनों ने महज एक दूसरे का हालचाल जाना। पीएम मोदी ने नवाज से उनकी सेहत के बारे में पूछा क्योंकि पिछले साल जून में नवाज की ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी.
मोदी ने नवाज की मां और परिवार के बारे में भी पूछा. दोनों नेता अस्ताना ओपेरा में लीडर्स लाउंज में आमने-सामने आए थे. खास बात ये है कि डिनर के दौरान जब मोदी और नवाज बैठे थे तो उस दौरान बैकग्राउंड में राजकपूर का गाना मेरा जूता है जापानी बज रहा था.
दोनों नेताओं की औपचारिक बातचीत न होने की तीन वजह मानी जा रही है. पहला ये कि भारत आतंकवाद समेत सारे मुद्दों पर बात करना चाहता है. दूसरा ये कि वो तीसरे देश का दखल नहीं चाहता जबकि SCO में ऐसी बातचीत संभव नहीं थी क्योंकि यहां तीसरे देश के दखल की गुंजाइश है. तीसरा ये कि भारत ने साफ कर दिया है कि आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते जबकि पाकिस्तान से बातचीत के बाद पठानकोट में और बॉर्डर पर हमले हुए हैं.