नई दिल्ली: तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार है, उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है या फिर इस्लाम का ऐसा कानून, जिसे बदला नहीं जा सकता ? इस सवाल पर आज से सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में सुनवाई शुरू हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ये तय करने जा रहा है कि क्या धार्मिक आजादी का मतलब तीन तलाक भी है ? तीन तलाक इस्लामिक है या मौलानाओं की मनमानी, आज इन्हीं सवाल पर होगी बड़ी बहस.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रिपल तलाक एक झटके में दे दिया जाता है और फिर शादी खत्म हो जाती है. यही बात विचार करने योग्य है. आज से चीफ जस्टिस की अगुवाई में 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने ट्रिपल तलाक पर सुनवाई शुरू कर दी है. ये सुनवाई कल भी जारी रहेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि अगर तलाक खत्म कर दिया जाए तो मुस्लिम तलाक के लिए कहां जाएंगे. इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि संसद को कानून बनाना चाहिए. जिस पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक संसद तलाक पर कानून नहीं बनाती तब तक मुस्लिम पुरुष अदालत का दरवाजा खटखटा कर तलाक ले सकते हैं.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि केंद्र सरकार बताए कि वो किस तरफ है, तीन तलाक के विरोध में या समर्थन में. सिब्बल के सवाल पर केंद्र सरकार ने कहा कि हम किसी की तरफ से नहीं है. हम महिलाओं के सम्मान और समानता के पक्ष में हैं इसलिए ट्रिपल तलाक़ के खिलाफ हैं.
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