नई दिल्ली: इंदौर की बात हो और देवी अहिल्याबाई होल्कर की बात न हो, ऐसा कैसे हो सकता है. देवी अहिल्याबाई होल्कर मालवा क्षेत्र की वो शासक रही हैं, जिन्होंने अपने शासनकाल में नई परंपरा डालीं. रूढ़िवादी विचारों को तोड़ा और ऐसा शासन दिया, जिसे आज के संदर्भ में भी उत्तम शासन कहा जाता है.
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन जी जो इंदौर से 8वीं बार लोकसभा सांसद हैं, इन्होंने अहिल्याबाई होल्कर के जीवन पर एक नाटक लिखा है. जिसका नाम है ‘मातोश्री’. हालांकि ये नाटक महाजन ने कई साल पहले ही लिख दिया था लेकिन आधिकारिक तौर पर रिलीज प्रधानमंत्री द्वारा इसी हफ्ते की है. सुमित्रा महाजन से बात कीं इंडिया न्यूज के एडिटर-इन-चीफ दीपक चौरसिया ने.
‘अहिल्याबाई होल्कर मेरे लिए प्रेरण हैं’
देवी अहिल्याबाई होल्कर मेरे लिए प्रेरण हैं. मैंने जब भी सामाजिक काम किया है तो उस काम के दौरान मेरे मन में उन्हीं की प्रतिमा रहती है. आज भी इंदौर के लोग उनका सम्मान करते हैं और मैं भी उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा पढ़ने की कोशिश करती हूं. अगर आपको प्रेरणा की जरुरत है तो आप अहिल्याबाई के चरित्र को पढ़ो. अगर आपको राजनीति के लिए पढ़ना है तो उनसे अच्छा शासक कोई नहीं होगा. इसिलए मैंने उनके बारे में लिखा.
‘अहिल्याबाई से सीख लेने की जरुरत’
देवी अहिल्याबाई का व्यक्तिगत जीवन बहुत कठिनाई और दुखों से भरा हुआ गुजरा है. अहिल्याबाई ने अपने दुख को किनारा करके अपनी जनता के लिए काम किया. अहिल्याबाई का राजनीतिक जीवन बहुत मजबूत रहा है, आज के लोगों को उनसे सीख लेनी चाहिए. आज भी हिंदूस्तान में अहिल्याबाई द्वारा निर्मित कई स्थान मिलेंगे. जहां-जहां मंदिर टूटे होंगे, उस समय बिना किसी विवाद के मंदिरों के निर्माण कराए. देवि ने निजाम के राज्य में भी कई निर्माण कराए.
‘मैंने कभी पद के बारे में नहीं सोचा’
मैंने कभी इस बारे में कभी सोचा नहीं. पार्टी व्यवस्था में जो भी होता है, उसे स्वीकार करना होता है. मैंने तो कभी ये भी नहीं सोचा था कि मैं कभी लोकसभा की स्पीकर बनूंगी. अब जब मैं स्पीकर बन गई हूं तो उसकी जिम्मेदारी अच्छे से निभाना है. मुझे जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, मुझे अच्छे से निभाना है. मेरे पास अभी जो हैं उसमें भी मैं बहुत खुश हूं. आगे जो पार्टी काम देगी उसमें भी मैं खुश होउंगी.
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