तीन तलाक पर कुरान और देश के संविधान से बड़ा है मौलानाओं का फरमान ?

बरेली में आज से सुन्नी बरेलवी कॉन्फ्रेंस शुरू हुई. उम्मीद थी कि इस कॉन्फ्रेंस में मौलाना और उलेमा तीन तलाक पर चर्चा करेंगे और मुस्लिम महिलाओं की तकलीफ समझेंगे, जो तीन तलाक को खुद पर ज़ुल्म बताती हैं, लेकिन मौलानाओं ने बरेली में भी तीन तलाक को सही बताया और सरकार को इस मामले में दखल ना देने को कहा.

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तीन तलाक पर कुरान और देश के संविधान से बड़ा है मौलानाओं का फरमान ?

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  • March 2, 2017 3:55 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: बरेली में आज से सुन्नी बरेलवी कॉन्फ्रेंस शुरू हुई. उम्मीद थी कि इस कॉन्फ्रेंस में मौलाना और उलेमा तीन तलाक पर चर्चा करेंगे और मुस्लिम महिलाओं की तकलीफ समझेंगे, जो तीन तलाक को खुद पर ज़ुल्म बताती हैं, लेकिन मौलानाओं ने बरेली में भी तीन तलाक को सही बताया और सरकार को इस मामले में दखल ना देने को कहा.
 
सुन्नी बरेलवी समुदाय के उलेमाओं ने शराब और बाकी कुरीतियों से बचने की वकालत की, लेकिन उनके हिसाब से तीन तलाक कोई कुरीति नहीं है, बल्कि शरीयत का कानून है, इसलिए सुन्नी बरेलवी मौलानाओं ने फरमान सुना दिया कि वो तीन तलाक को मानते रहेंगे.
 
तीन तलाक के मामले में मुस्लिम महिलाओं की फरियाद पर ही सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है. महिलाएं तीन तलाक के शरीयत कानून को अपने साथ नाइंसाफी मानती हैं और चाहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट उन्हें इस ज़ुल्म से बचाए और बराबरी का हक दिलाए. लेकिन, सुन्नी बरेलवी कॉन्फ्रेंस में एक भी महिला ना तो मौलानाओं की बात सुनने के लिए मौजूद थी और ना ही स्टेज पर अपनी बात रखने के लिए. महिलाओं की गैर मौजूदगी में ही मौलानाओं ने कह दिया कि तीन तलाक जारी रहेगा, सरकार इसमें दखल ना दे.
 
तीन तलाक पर सरकार को दखल क्यो नहीं देना चाहिए और क्या कुरान और संविधान से बड़ा है मौलानाओं का फरमान, आज इसी मसले पर होगी बड़ी बहस
 
(वीडियो में देखें पूरा शो)

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