नई दिल्ली. देश की राजनीति में हिंदू-मुस्लिम को वोट बैंक के तौर पर बांटा और इस्तेमाल किया जाता रहा है. 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद अब हिंदुत्व का राग अलापने वाले आए दिन इस पर विवाद खड़ा कर रहे हैं.
नई दिल्ली. देश की राजनीति में हिंदू-मुस्लिम को वोट बैंक के तौर पर बांटा और इस्तेमाल किया जाता रहा है. 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद अब हिंदुत्व का राग अलापने वाले आए दिन विवाद खड़ा कर रहे हैं. लेकिन, इस खेल का दूसरा पहलू भी है. यूपी के मंत्री आज़म खान इन दिनों हर बात पर ये दुहाई देने लगते हैं कि उन्हें मुसलमान होने की सज़ा मिल रही है. सोमवार को आज़म खान यहां तक बोल गए कि बंटवारे के वक्त मुस्लिमों का हिंदुस्तान में बसना ही गलत फैसला था. वहीं दूसरी ओर हैदराबाद से बाहर अपना सियासी कद बढ़ाने में जुटे असदुद्दीन ओवैसी भी मुस्लिमों को भड़काने का कोई ना कोई बहाना ढूंढने में जुटे हैं. अब ये बड़ी बहस का मुद्दा है कि क्या आजम और ओवैसी के बीच मुस्लिमों का नेता बनने की जंग चल रही है? क्या इनके लिए मजहब की राजनीति मुल्क से बड़ी है?